नई दिल्ली,
कोविड महामारी बच्चों के स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव पड़ा है। स्कूल जाने की पाबंदी, घर पर रहना, दोस्तों से न मिल पाना और आउटडोर न खेल पाना आदि कई वजहों से लॉकडाउन में साठ प्रतिशत बच्चों का दस प्रतिशत वजन बढ़ गया। सरगंगाराम अस्पताल द्वारा एक हजार से अधिक बच्चों पर किए गए अध्ययन के परिणाम में यह बात सामने आई है। देर तक जागना और सुबह देर से उठने के साथ ही महामारी की अन्य पाबंदियों की वजह से बच्चों की इटिंग हैबिट या खाने की आदत भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
सरगंगाराम अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस मेटाबॉलिक एंड बैरिएट्रिक विभाग के चेअरमैन डॉ. सुधीर कल्हान ने बताया कि महामारी का बच्चों के स्वास्थ्य पर असर का पता लगाने के लिए हमने 1309 बच्चों पर एक सर्वेक्षण किया। एक अक्टूबर 2021 से 31 अक्टूबर 2021 के अंतराल में किए गए सर्वेक्षण के परिणाम चौंकाने वाले थे। पाया गया कि दस प्रतिशत बच्चों का वजन महामारी के कारण सामान्य से अधिक हो गया। सर्वेक्षण के दौरान पूछे गए प्रश्नों का जवाब देने वाले 785 यानि साठ प्रतिशत बच्चों ने स्वीकार कि महामारी के कारण उनके सोने के नियमित घंटे बढ़ गए हैं और खाने की आदतें बदल गई हैं। डॉ. सुधीर ने बताया कि 36.8 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे, महामारी की वजह से जिनकी दिनचर्या अनियमित हो गए, बाहर खेलना और शारीरिक व्यायाम बंद हो गया। 27.55 प्रतिशत बच्चे देर से सोने के आदी हो गए, जबकि 22.4 प्रतिशत बच्चों जरूरत से अधिक खाने लगे। इन सभी वजहों से बच्चों का वजन बढ़ गया। औसतन साठ प्रतिशत बच्चों के वजन में दस प्रतिशत की अधिकता देखी गई। सर्वेक्षण में पांच से 15 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया। जिसमें 49.2 लड़के और 50.8 प्रतिशत लड़कियां शामिल की गईं। 61.8 प्रतिशत बच्चों के माता पिता या बच्चों ने यह स्वीकार किया गया कि महामारी और लॉकडाउन के समय उनके बच्चों का वजन बढ़ा। डॉ. सुधीर ने बताया कि अधिक वजन बच्चों में कई तरह की बीमारियों की वजह बन सकता है, मधुमेह जिसमें से एक हो सकता है। अभिभावकों को पोस्ट कोविड काल में बच्चों के वजन को नियंत्रित रखने के लिए अधिक सर्तकता बरतनी होगी।