क्या आपको पता है कैसे बचानी है किसी की जान?

नई दिल्ली,
पानी में डूबते हुए किसी भी व्यक्ति को उपचार के लिए हम पहले उसके पेट पर दवाब बनाने लगते हैं। जिससे उसे पेट का पानी निकल जाएं, जबकि प्राथमिक उपचार के नियम कहते हैं कि यह प्रयास गलत है जो किसी भी जान भी ले सकता है। दवाब बनाने की जगह व्यक्ति की ए, बी या सी जांच करनी चाहिए। इसी तरह सड़क दुर्घटना के वक्त के बहते खून के दवाब को कम करने के लिए रक्तस्त्राव को कम करने के लिए प्रभावित जगह को जोर से दबा देना चाहिए। इससे कुछ देर बाद बहाव रूक सकता है या खून कम बहेगा। हालांकि इस बीच एंबुलेंस को फोन अवश्य कर दें।
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन फिलांथ्रोफे की चेअरपर्सन डॉ. अंजलि क्वात्रा कहती हैं कि प्राथमिक उपचार की श्रेणी कुछ छोटे लेकिन ऐसे महत्वपूर्ण उपाय अपनाकर आपातस्थिति में किसी भी जान बचाई जा सकती है। इसके लिए आपदा से पहले ही लोगों को तैयार करना होगा, हम ऐसे समाज का गठन कर सकते हैं, जिसमें भीड़ में से निकलकर कोई प्रशिक्षित महिला या पुरूष विपदा में फंसे लोगों की मदद कर सके।
इसके लिए कई तरह के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। जिसमें सीपीआर दस, एबीसी जांच आदि जैसे अहम पहलू हैं, हादसे के समय खिड़की से बाहर निकलें या सीढ़ियों से, क्या हो अगर फायर हायड्रेंट काम न करें, आदि ऐसे पहलू हैं जिनका बारीकी से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। फायर हाईड्रेंट के प्रयोग के लिए जरूरी नहीं कि फायर सेफ्टी अधिकारियों की ही प्रतीक्षा की जाएं, इसे आम इंसान भी प्रशिक्षण के बाद प्रयोग कर सकते है। इसके लिए कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों और अस्पताल कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण की मदद से आपात स्थिति में होने वाली क्षति को रोका जा सकता है। इसे बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) प्रशिक्षण भी कहा जाता है, जिसके बाद व्यक्ति को कॉलेज का प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। विभिन्न वर्ग में बांटे गए पाठ्यक्रम में आग लगने, मार्ग दुर्घटना, करंट लगने, छत से नीचे गिरने, पानी में डूबने, हृदयघात, अधिक या कम रक्तचाप, चाकू से हाथ कटने, गले में खाना अटकने, पानी में डूबने सहित एलर्जिक मेडिकल इमरजेंसी को शामिल किया गया है।

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