चरे से होकर दोबारा खाने तक पहुंचती है Plastic

Plastic Ban: सीरिज पार्ट वन
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो अक्टूबर से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की घोषण की है, इससे पहले भी 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए संबोधन में प्लास्टिक के प्रयोग पर बैन लगाने की घोषणा की गई। सरकार के प्रयास के बाद आम जन को भी सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले खतरों की जानकारी होनी चाहिए। साथ हमें यह भी पता होना चाहिए कि सरकार जिस सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन की बात कर रही है, वह है क्या? उससे क्या नुकसान है और सरकार का इस पर बैन करने का क्या मकसद है? इस सीरिज के जरिए हम आपको बता रहे हैं प्लास्टिक सिंगल यूज के बारे में…
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक:
ऐसी तरह की प्लास्टिक जिसका केवल एक बार प्रयोग किया जा सकता है, एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक, जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता, सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आती है। प्लास्टिक से बनने वाले सभी उत्पादों में केवल दो से तीन प्रतिशत उत्पाद की प्लास्टिक को शत प्रतिशत बायोयडिग्रेबल या रिसाइकल किया जा सकता है। इसमें घरों में सामान लाने के लिए प्रयोग की जाने वाली पॉलिथीन, प्लास्टिक के स्ट्रा, कंपनियो की ब्रांडेड पैकिंग, बोतल के ढक्कन, प्लास्टिक के कॉफी मग, डिब्बे, बोतल, शॉपिंग बैग, कुछ बर्तन और कंटेनर सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें रिसाइकिल नहीं किया जा सकता।
प्लास्टिक का कुचक्र:
घरों में प्रयोग यह प्लास्टिक कचरे के जरिए डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचती है या फिर खाद के जरिए वनस्पतियों तक, रिसाइकिल न होने की वजह से इसके जहरीले तत्व, दोबारा मिट्टी में मिलकर भूमि और सब्जियों को दूषित करते हैं, जिससे बच्चों में व्यवहार संबंधी दिक्कत, बड़ो मे कैंसर या भूलने की बीमारी के साथ ही प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। यह प्लास्टिक जीव जंतुओं की सेहत और पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित करती है, क्योंकि इन्हें बहुत ही टॉक्सिक पद्धार्थों से बनाया जाता है। यूनाइटेड नेशन की टीम ने वर्ष 2018 ने सिंगल यूज प्लास्टिक और एन्वायरमेंट पर रिपोर्ट जारी की, इसके बाद प्लासिटक के प्रयोग को कम करने को गंभीरता से लिया गया।
वायरल वीडियो ने लोगों को चेताया:
पर्यावरण और जीव जंतुओं पर शोध के दौरान कोस्टा रिचा नाथन जे रॉबिन्स द्वारा बनाई गई एक वीडियो द लेदरबैग ट्रस्ट के यू ट्यूब पेज पर डाली गई। इसके एक कछुए की नाक के छिद्र में एक वस्तु के फंसे होने को दिखाया गया, जिसकी वजह से वजह से वह सांस नहीं ले पा रहा था, अधिक प्रयास के बाद कुछ लोगों से तीलीनुमा उस चीज का एक हिस्सा निकाल कर काट दिया जांच करने पर पता चला कि वह एक आठ सेमी के प्लास्टिक की स्ट्रा थी, जो कछुए की नाक में फंस गई थी। काफी मशक्कत के बाद स्ट्रा को कछुए की नाक से निकाला गया, वीडिया को दुनिया भर में दस करोड़ से भी अधिक लोगों ने देखा। इससे समझा जा सकता है कि प्लास्टिक केवल मानव ही नहीं पर्यावरण और समुद्री जीव, जंतुओं के लिए भी हानिकारक है। पर्यावरण प्रेमी मानते हैं कि जीव जंतु प्लास्टिक से डरते हैं, लेकिन कचरे में मिलकर यह उनतक पहुंच ही जाती है।
निजी कंपनियों ने कहा नो- प्लास्टिक:
द हयात, मैकडोनाल्ड और स्टारबग जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों ने 2020 तक अपनी कंपनियों में प्लास्टिक के किसी भी तरह के प्रयोग पर पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया है। गो प्लास्टिक फ्री मुहिम के तहत कंपनियों के उत्पाद रिसाइकिल्ड डिब्बे या कागज में दिए जाएगें।

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