नई दिल्ली: भारत में स्वास्थ्य संबंधी नुकसान के लिए जच्चा-बच्चा कुपोषण अब भी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गयी। समीक्षा में वायु प्रदूषण, भोजन संबंधी जोखिम, उच्च रक्तचाप और मधुमेह को देश में अन्य स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां माना गया है। समीक्षा में कहा गया कि लोगों की जीवन संभाव्यता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 1990 की तुलना में लोगों की औसत उम्र 2015 करीब 10 साल बढ़ी है। समीक्षा के अनुसार, देश में बीमारियों पर नियंत्रण और मरीज प्रबंधन में विलंब को लेकर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधाओं का किफायती स्तर पर उपलब्ध नहीं होना जिम्मेदार है। क्षमता से अधिक महंगी चिकित्सकीय सुविधाओं का इससे वंचित रहने वाले मामलों में 62 प्रतिशत योगदान है। इसका गरीब लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ा है और असमानता बढ़ी है। समीक्षा में विभिन्न शहरों में चिकित्सकीय जांचों की दर में भारी अंतर का जिक्र करते हुए कहा गया, ‘‘उचित गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाली रूपरेखा तथा नियामकीय व्यवस्था के जरिये चिकित्सकीय जांच का मानकीकरण किये जाने की जरूरत है।