जन्मजात विकार की जांच के लिए बनेगी लैब

नई दिल्ली: जन्मजात बीमारियों की पहचान के लिए अब राजधानी में अधिक बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी। लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल का चयन इस बावत केन्द्र सरकार की मदद से एक अहम योजना के लिए किया गया है। जिसमें नवजात के जन्म के बाद किसी भी तरह के विकार की जांच के लिए एकीकृत लैबारेटरी विकसित की जाएगी, अहम यह है कि इस लैब में अन्य अस्पतालों के सैंपल भी जांच के लिए लाए जा सकेंगे।

नवजात शिशुओं के इलाज के लिए एलएनजेपी अस्पताल की सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। अस्पताल के निदेशक डॉ. जेएस पासी ने बताया कि खून संबंधी कई विकार की जांच यदि जन्म के बाद निर्धारित घंटे में न की जाएं तो मानसिक अपंगता, खून का थक्का न जमना, या फिर लिंग विकास संबंधी कई बीमारियां हो सकती है। अस्पताल की एकीकृत नवजात शिशु स्क्रीनिंग लैबारेटरी में जन्म के 24 घंटे बाद जांच से कुछ दवाओं की मदद से विकार को सही किया जा सकता है। अस्पताल के महिला एवं प्रसूति विभाग के अलावा दिल्ली एनसीआर के अन्य अस्पतालों में जन्म लेने वाले नवजात के सैंपल भी जांच के लिए लाए जा सकेगें।

अस्पताल की पीडियाट्रिक विभाग की डॉ. सीमा कपूर ने बताया कि एसईआरबी के एक अहम प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली में दो लाख नवजात शिशुओं की खून की जांच गई। परिणाम में देखा गया कि जन्मजात विकार की जांच सही समय पर होने पर नवजात शिशु मृत्युदर को कम किया जा सकता है। लैबारेटरी के लिए केन्द्र सरकार ने 6.55 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी है। खून की जांच निशुल्क होगी।

कब दिया जाएगा सैंपल
शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सभी नवजात के खून की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है, एनएनजेपी अस्पताल में प्रस्तावित स्क्रीनिंग लैब में एक दिन में डेढ़ से दो हजार बच्चों के खून के सैंपल की जांच की जा सकेगी। जन्म के 24 घंटे के बाद जब नवजात अपने खुद के सेल्स पर जीने लगता है, उसका खून का सैंपल लिया जा सकेगा। 72 घंटे के अंदर लैब तक पहुंचे सैंपल से सही समय पर पहचान कर विकार को दूर करने के लिए इलाज शुरू किया जा सकता है।

तीन तरह के अहम विकार में फायदा:
जन्मजात हाईपोथॉयरायड- जन्म के बाद थायरॉयड अधिक बनने या बिल्कुल न बनने की वजह से बच्चों के मानसिक विकास पर फर्क पड़ता है। सही समय पर जांच के बाद हार्मोन की अनियंत्रित मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।

जन्मएड्रनल हाइपोथीरिया- किडनी के पास स्थित एड्रनल ग्रन्थि को नवजात के लिंग विकास में अहम माना जाता है। इस हार्मोन के कम बनने से लड़कों की जन्म के कुछ घंटे बाद ही मृत्यु हो जाती है, जबकि लड़िकयों में लिंग का विकास सही ढंग से नहीं होता।

जीसिक्सपीडी डिसीस- इस समूह की बीमारी में जन्म के बाद होने वाले ज्वाइंडिस या पीलिया को शामिल किया जाता है। इसमें नवजात के खून की लाल रक्तकणिकाएं तेजी से टूटने लगती है, जिससे बच्चों को पीलिया हो जाता है। पीलिया को नवजात मृत्युदर में सबसे पहले नंबर पर शामिल किया गया है।

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