जुखाम का कारक वायरस बचाता है कोविड संक्रमण से

नई दिल्ली,
मौसम बदलने के साथ होने वाला साधारण जुखाम बहुत मायनों में कोरोना संक्रमण के प्रति शरीर में रक्षा कवच तैयार करता है। वायरस के एंटीबॉडी का प्रभााव शरीर में रहने तक कोविड कारक एसएआरसीओवीटू आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यूके की ग्लासगो यूनिवर्सिटी में कोविड और साधारण फ्लू का संबंध जानने के लिए एक शोध किया गया। अध्ययन में देखा गया कि साधारण कोल्ड या फ्लू के कारक राइनोवायरस की उपस्थिति में कोविड का कारक वायरस एसएआरसीओवीटू अपनी जगह नहीं बना पाया। हालांकि जुखाम के बाद बनने वाले एंटीबॉडी अधिक दिनों तक नहीं रह सकी लेकिन राइनोवायरस के रहते कोविड का प्रभाव नहीं देखा गया।
वैज्ञानिकों का मनना है कि जुखाम के चालीस प्रतिशत मामलों में राइनोवायरस को जिम्मेदार माना गया है। हालांकि जुखाम का असर दो से तीन दिन तक ही रहता है। साधारण जुखाम और कोविड 19 के संबंध को जानने के लिए यूके की ग्लासगो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने वायरस को विकसित करने के लिए हृयुमन रेप्लिका का प्रयोग किया। अध्ययन के दौरान मानव श्वसनतंत्र की रेप्लिका में वैज्ञानिकों ने एक साथ राइनोवायरस और कोविड19 के वायरस को छोड़ा, ऐसा इसलिए किया गया जिससे यह देखा जा सके कि यह दोनों वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने पर किस तरह का बदलाव या व्यवहार करते हैं, जुखाम के कारण राइनोवायरस का असर क्योंकि 24 घंटे के अंदर ही दिखने लगा, जबकि कोविड19 वायरस के विकसित होने के इस विंडो पीरियड में सुप्तावस्थाा में ही रहा, इससे अधिक समय में जब कोविड कारक वायरस को देखा गया तो पाया गया कि राइनोवायरस की उपस्थिति और सेल्स में इसकी संख्या बढ़ने के साथ ही राइनोवायरस के कोविड के कारण एसएआरसीओवीटू को निकाल से बाहर कर दिया।
वैज्ञानिकों का कहना है जुखाम के लिए कारक राइनोवायरस श्वसन नली की एपीथिलियल सेल्स में कोविड के प्रति रक्षा कवच तैयार कर देती है, जिससे राइनोवायरस के रहते कोविड का वायरस अपनी जगह नहीं बना पाता। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जब राइनोवायरस जुखाम के रूप में मानव शरीर पर हमला करता है तो वह अपने रहते अन्य किसी वायरस को अपने घर या मानव शरीर में रहने नहीं देता, हालांकि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि राइनोवायरस के कारण एपीथिलियल में बनी एंटीबॉडी अधिक दिन तक नहीं रहती और वायरस का प्रभाव कम होते ही कोविड हमला कर सकता है। हालांकि कोविड और साधारण फ्लू के संदर्भ में हुए एक अन्य छोटे शोध में यह पाया गया कि मौसमी जुखाम से पीड़ित 30 प्रतिशत मरीजों में कोविड नहीं देखा गया। राइनोवायरस वायरस अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की वजह से केवल गले को प्रभावित करता है फेफड़ों को नहीं।

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