नई दिल्ली: इथोपिया की 35 साल की सेफिनेश वोल्डे के सिर में रोज तेज दर्द होता था, वह इस दर्द से लगभग एक साल से परेशान रहती थी। लेकिन धीरे धीरे दर्द के साथ साथ उसकी आंखों की रोशनी भी कम होती गई और दाहिने आंख की रोशनी पूरी तरह से खत्म हो गई। यही नहीं उसकी बाईं आंखों की रोशनी भी कम होती जा रही थी। जब वह इलाज के लिए दिल्ली पहुंची तो यहां के अस्पताल के डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उसके ब्रेन में एक ट्यूमर है। टयूमर की वजह से उसके ऑप्टिक नर्व पर दबाव बढ़ रहा था, जिसकी वजह से उसकी आंखों की रोशनी कम होते जा रही थी और इस ट्यूमर की वजह से ब्रेन को सप्लाई खून की नली भी प्रभावित हो रही थी, समय पर इलाज नहीं होने से जान जाने का खतरा था। डॉक्टर ने इस रेयर मामले की सफल सर्जरी कर न केवल जान बचाई बल्कि सर्जरी के बाद उसके दोनों आंखों की रोशनी भी वापस आ गई है।
अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट और न्यूरोसर्जन डॉक्टर सुधीर कुमार त्यागी के अनुसार जब वह आई थी तो उसकी दाईं आंखों की रोशनी पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी और बाएं आंखों की रोशनी भी कम हो रही थी। डॉक्टर ने कहा कि जांच करने पर पता चला कि महिला ट्यूबरक्यूलम सेले मेनिनगियोमा से पीड़ित है, इस बीमारी में ट्यूमर ब्रेन के अंदर स्कल बेस में डिवेलप होता है और इससे आई साइट के लिए जिम्मेदार ऑप्टिक नर्व और ब्रेन को जाने वाली खून की मेन आर्रटरी कारोटिड (carotid) को भी प्रभावित कर रहा था।
डॉक्टर ने कहा कि ब्रेन आधारित ट्यूमर का ऑपरेशन करना बेहद कठिन होता है क्योंकि इन तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल होता है। यह आंखों के नर्व से जुड़ा होता है और ब्रेन में ब्लड सप्लाई का का प्रमुख आर्टरी होता है। ट्यूमर की वजह से ऑप्टक नर्व और मुख्य आर्टरी के इनवाल्वमेंट की वजह से सर्जरी आसान नहीं थी। डॉक्टर ने कहा कि ऑप्टिक नर्व पर प्रेशर की वजह से आंखों की रोशनी कम हो रही थी। उन्होंने कहा कि ऑप्टिक नर्व बहुत ही सॉफ्ट होता है, उसे ट्यूमर से अगल करना एक चुनौती थी। डॉक्टर त्यागी ने कहा कि लेकिन हमने ट्यूमर को अलग करने में सफलता प्राप्त की और मरीज को एक हफ्ते बाद छुट्टी भी दे दी। अच्छी बात यह रही की कि सर्जरी के बाद मरीज के दोनों आंखों की रोशनी वापस आ गई है और वह अच्छी हालत में हैं।