नई दिल्ली,
रक्त संबंधी विकारों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को नौकरी में आरक्षण निकाले के लिए जनहित याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में तीन अगस्त को याचिका पर सुनवाई होगी। इसमें थैलीसिमिया, सिकल सेल्स और हीमोफिलिया मरीजों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की गई है। याचिककर्ता ने दलील दी है कि संविधान के सेक्शन 32 के विकलांग अधिकार तहत उन्हें शिक्षा में आरक्षण दिया जाता है लेकिन सेक्शन 34 में दर्ज नौकरी में आरक्षण की अवहेलना की जाती है।
अधिवक्ता रीपक कंसल और डॉ. आशुतोष गर्ग द्वारा दर्ज जनहित याचिका में रक्त विकार के थैलीसिमिया, सिकल सेल्स और हीमोफिजिया मरीजों को दिव्यांग की श्रेणी में रखने का हवाला देते हुए कहा कि उपरोक्त तीनों बीमारियों को भारत सरकार द्वारा सामाजिक विकास और विकलांगता विभाग को भेजे गए नोटिस के तहत विकलांगों के शिक्षा, रोजगार और सामान्य नागरिक अधिकार को सुनिश्चित करने की बात कही गई है। संविधान में दर्ज निशक्त जन अधिकार, मूलभूत जन सुविधा अधिकार और मानवाधिकार के तहत सभी को सामान्य अधिकार सुनिश्चित करने को कहा गया है। अधिवक्ता सागर शर्मा ने बताया कि लंबे समय से हीमोफिलिया, थैलीसिमिया और सिकल सेल्स के मरीजों के रोजगार के अधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है। जिसको सुनिश्चित करने और गाइडलाइन बनाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई। 26 पेज के जनहित याचिका में अधिवक्ता ने विकलांगता की श्रेणी का भी हवाला दिया है।