नई दिल्ली: 10 हजार स्कूली बच्चे दांत दर्द की वजह से रोजाना स्कूल से अबसेंट होते हैं। एम्स के डॉक्टर का दावा है कि नौ महीने के बच्चे में भी दांतों में प्रॉब्लम्स शुरू हो जाती है और इसकी एक बड़ी वजह सिरप में शुगर की मात्रा ज्यादा होना और सोते हुए बच्चों को बॉटल से फीडिंग कराने की वजह से हो रहा है। अगर समय रहते इस बीमारी को दूर नहीं किया जाता है तो बड़े होने पर भी इन बच्चों की दिक्कत कम नहीं होती है और दोंतों में बैक्टीरिया और पाइरिया होना आम बात है।
एम्स के डेंटल सेंटर के चीफ डॉक्टर ओ पी खरबंदा ने बताया कि कर्नाटक में एक स्टडी हुई है, जिस स्टडी के आधार पर एक अनुमान लगाया गया है कि पूरे देश में रोजाना 10 हजार बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और इसकी वजह उनके दांतों में कोई न काई प्राब्लम्स होती है। डॉक्टर ने कहा कि कुछ लोग जागरूक हो गए हैं, लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि 9 महीने तक के बच्चे में दांत में हुए डिफेक्ट के इलाज के लिए लोग एम्स आ रहे हैं, पहले बच्चे का दांत चौकी व्हाइट होता है, फिर काला हो जाता है और फिर कुछ पार्ट झड़ जाता है।
डॉक्टर ने कहा कि जो बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं, उसमें देखा गया है कि दांत खराब होने की दो प्रमुख वजह होती है, पहला सीरप जिसमें बहुत ज्यादा चीनी होती है, सीरप पीने के बाद माताएं अपने बच्चे का दांत साफ नहीं करते और बॉटल से दूध पीने के दौरान भी ऐसा ही होता है। खासकर जब बच्चा सोया रहता है तो मां उन्हें बॉटल लगा देते हैं। सोए रहने की वजह से मुंह के अंदर स्लैबा बनना बंद हो जाता है और चीनी का लेयर दांत के पास जमा हो जाता है। इसलिए ध्यान रखें कि बच्चे को दूध पीलाने के बाद मसूढ़ा जरूर साफ करें, इसके लिए मुलायम कपड़ा यूज करें और दूध के बाद एक चम्मच पानी पिलाएं।
डॉक्टर खरबंदा ने कहा कि कई बार मां जब दूध तैयार करती है तो खुद पीकर टेस्ट करती है कि चीनी का लेवल ठीक है या नहीं, लेकिन इसमें खतरा है। टेस्ट के लिए जो चम्मच यूज करती हैं बैक्टीरिया उसके जरिए दूध में पहुंचता है और मां का वही बैक्टीरिया बच्चे तक पहुंच जाता है और न केवल बच्चे का दांत खराब होता है बल्कि उसे दूसरी बीमारी का भी खतरा बढ़ जाता है, इसलिए बच्चे को कभी झूठा नहीं दें और बच्चे का चम्मच खुद यूज नहीं करें।
सोर्स: एनबीटी