दिल के इलाज पर लगेगी एसीसी की मुहर

नई दिल्ली, मिनी अरोड़ा: दिल का बेहतरीन इलाज करने का दावा करने वाले अस्पतालों पर एसीसी की मुहर लगेगी। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की तीन सदस्यीय टीम बीते कई दिनों से भारत के दौरे पर है। इस दौरान टीम ने देशभर के कार्डियक सेंटर का मुआयना किया है। दिल के इलाज को विश्वस्तर का बनाने के लिए पहली बार ट्रांस्लुमिना थेराप्यूटिक्स के साथ मिलकर इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इस साक्षेदारी की मदद से दिल के इलाज को अधिक बेहतर और गुणवत्ता परक बनाया जा सकेगा।

दिल के इलाज को बेहतर बनाने के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए येल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसन कार्डियोवास्कुलर विभाग के प्रोफेसर और प्रतिनिधि डॉ. जेप्था पी कुर्टिस ने बताया कि आईसीआई कार्यक्रम के जरिए अस्पताल और चिकित्सक के साथ मिलकर डाटा तैयार किया जाएगा, यह डाटा दिल के इलाज को अधिक बेहतर बनाने के कार्यक्रम के उद्देश्य को और अधिक सफल करेगा। राष्ट्रीय कार्डियोवॉस्कुलर रजिस्ट्री के माध्यम से इस बात का खाका तैयार किया जाएगा कि कौन सा अस्पताल दिल के मरीजों के इलाज के लिए किस मानक पर कितना खरा उतरता है। इसमें आपात स्थिति में मरीज के अस्पताल पहुंचने और उसका इलाज शुरू होने से लेकर उसको आईसीयू में भर्ती करने के दौरान अपनाए गए मानकों को भी जांचा जाएगा। अस्पतालों से मिली जानकारी के आधार पर इलाज की अंर्तराष्ट्रीय मानकों से तुलना की जाएगी।

ट्रांस्लुमिना थेराप्यूटिक्स एलएलपी के प्रबंध निदेशक गुरमीत सिंह चुग ने बताया कि एसीसी ने विदेशी कंपनियों की जगह एक भारतीय कंपनी ट्रांस्लुमिना थेराप्यूटिक्स को चुना है इस आधार से कंपनी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि कार्यक्रम को सफल बनाकर देश में दिल के इलाज में पारदर्शिता बढ़ाई जाए। एससीसी प्रमाणपत्र गुणवत्ता सुधारने का पहला चरण है जबकि इसके बाद अस्पतालों की सफल इलाज के आधार पर रेटिंग भी तय की जाएगी, जिससे मरीजों के पास बेहतर और अच्छे इलाज चुनने का विकल्प होगा, गुरमीत सिंह चुग ने बताया कि निश्चित रूप से पांच सितारा अस्पताल बनाने से बेहतर इलाज की गारंटी नहीं ली सकती। कार्यक्रम के तहत अस्पतालों से मिले डाटा के आधार पर इलाज में पारदर्शिता बढ़ेगी। एसीसी प्रमाण के लिए अस्पतालों को आवेदन करना होग। यह प्रमाणीकरण पूरी तरह निशुल्क है। मालूम हो कि एसीसी के अंतराष्ट्रीय मानक में दिल्ली के एक भी अस्पताल को जगह नहीं मिली है, जबकि चेन्नई और आंध्रप्रदेश के दो अस्पतालों को एसीसी प्रमाणपत्र हासिल हुआ है। मालूम हो कि एसीसी के 15000 अंर्तराष्ट्रीय सदस्य हैं और 137 देश इससे जुड़े हैं।

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