दिल्ली चड़ीगढ़ हाइवे पर अपने मायके जाते हुए 30 वर्षीय सिद्धि सिंगला बुरी तरह मार्ग दुर्घटना की शिकार हो गई। महिला ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी, जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आईं। सिंगला उस समय 31 हफ्ते के गर्भ से थीं, और किसी को भी उम्मीद नहीं कि नवजात का सुरक्षित जन्म हो पाएगा या नहीं, रीढ़ की हड्डी के इलाज के बावजूद कुछ हफ्ते बाद बेटी नायिका को जन्म दिया।
महिला को इलाज के लिए इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर लाया गया। अस्पताल के प्रमुख डॉ. एचएस छाबड़ा ने बताया कि रीढ़ की हड्डी सी5 और सी5 डिस्लोकेट या अपनी जगह से हिल चुकी थी। रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के लिए मरीज को उल्टा लिटाया जाता है, लेकिन महिला क्योंकि गर्भवती थी, इसलिए उसके केस में ऐसा नहीं किया जा सकता था। इसके लिए एक हफ्ते का इंतजार किया गया और मस्तिष्क के जरिए रीढ़ की हड्डी की गड़बड़ी को दूर किया गया। इस तरह से रीढ़ की हड्डी पर दवाब को कम किया गया। प्रसव के 36 हफ्ते का समय पूरा करने के लिए महिला की हर एक गतिविधि पर नजर रखी गई। कमर के चोट के साथ गर्भ में पल रहे भ्रूण की भी नियमित जांच की गई। दो दिन पहले महिला ने एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिया, सिंगला ने बताया के जिस तरह का हादसा हुआ था उसमें नवजात के बचने की उम्मीद छोड़ दी थी।
क्या थी चुनौती
– 31 हफ्ते के गर्भ के कारण महिला को उल्टा नहीं लिटाया जा सकता था
– दुर्घटना का असर पेट में पल रहे नवजात के मस्तिष्क में खून और पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता था।
– दिमाग या स्कल के जरिए रीढ़ की हड्डी में आई चोट को ठीक किया गया।
– बोन ग्राफिंटग के जरिए मस्तिष्क के लिए एक विशेष तरह का केज बनाया गया
– महिला पूरी तरह अचेतन अवस्था में अस्पताल पहुंची थी, आंशिक रूप से कुछ अंगों ने काम करना बंद कर दिया था
नोट- महिला की चोट की वजह से स्पाइनल इंजरी सेंटर में पहली बार किसी नवजात का जन्म हुआ।
गर्भधारण की वजह से नहीं लगाई थी सीट वेल्ट
सिंगला ने 31 महीने के गर्भ को देखते हुए सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी, लेकिन दिल्ली चंडीगढ़ के हाईवे पर हुए हादसे ने उसे सीट बेल्ट की जरूरत का एहसास करा दिया है। ब्रिटेन में हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार सीट बेल्ट पहनने की वजह से सामने बैठने वाले व्यक्ति को 45 प्रतिशत तक चोट लगने से बचाया जा सकता है। महिला के पति को सिर में गंभीर चोट आईं थी।