नई दिल्ली: आयरिश के वैज्ञानिकों ने नए मानव अंग मेसेंट्री की खोज की है, लेक़िन इस अंग को मानव बीमारियों के इलाज में कितना बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है जिसपर शोध बाक़ी है, एम्स के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग के डॉ. अनूप सराय ने बताया कि अमाशय के पास मौजूद इस झिल्ली की पहचान पहले भी की जा चुकी थी, लेकिन चिकित्सा जगत में इसका प्रयोग कैसे होगा इसपर शोध होना बाकी है, हालांकि एनाटोमी के छात्रों को इसे पढ़ाया जाये तोह नये बातें निकल कर सामने आ सकती है।
इस बारे में सर गंगा राम अस्पताल के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ अनिल अरोड़ा ने बताया कि यह इस तरह से अमाशय के पास झिल्ली का काम करती है, जो आहारनाल के लिए कवच कहलाती है, लेकिन पेट की अधिकांश बीमारियां अमाशय के अंदर मौजूद गट फ़्लोरा की वजह से होती है, इसलिए इसकी उपयोगिया को साबित किये बिना कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि इसके बारे में हम पहले से जानते थे, इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने केवल इसका स्वरूप यानि यह कैसा दिखता है इसका खुलासा किया है। अभी इसका बीमारी में क्या रोल है या फिर इसकी वजह से क्या क्या बीमारी हो सकती है, इस पर रिसर्च होना है। इस रिसर्च में ज्यादा कुछ सामने नहीं आया है।