डायरिया संक्रमण से निपटने के लिए पुरानी दवा बदली जा सकती है। डायरिया के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए नई दवा पर शोध के लिए जापान की याकोहामा यूनिवर्सिटी के साथ करार किया गया है। अहम यह है कि शोध यह जिम्मा उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पताल महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल को दिया गया है। छह महीने के शोध कार्य में पहले चरण में अस्पताल की लैबारेटरी के सैंपल जांच को डब्लूएचओ और कोलकाता के राष्ट्रीय हैजा और आंत्रशोथ संस्थान में सही पाया गया है।
शोध के तहत डायरिया के प्रमुख तीन बैक्टीरिया ई कोलाई, सालमोनेला और सीगेला को जापान के विशेष रीजेंट (जांच कैमिकल) के साथ लैबारेटरी जांच में परीक्षण किया जाएगा। महर्षि बल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. एनसी शर्मा ने बताया कि डायरिया की वर्तमान दवा और वैक्सीन के जरिए बीमारी पर अधिक नियंत्रण नहीं हो पाया गया है। जीरो से पांच साल की उम्र में प्रत्येक दस में सात बच्चों में डायरिया की शिकायत होती हैं, जापान के नये रीजेंट के साथ किए गए शोध में बैक्टीरिया को मारने के लिए अधिक असर करने वाले साल्ट पर काम किया जा रहा है। अस्पताल की लैबोरेटरी ने अब सौ सैंपल की जांच प्रमाणिकता के लिए भेजी हैं, जिसे अंतराष्ट्रीय मानकों पर खरा पाया गया है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में स्थित दक्षिण भारत की प्रमुख् संक्रामक जांच लैबारेटरी में हर रोज 200 से 300 सैंपल जांच के लिए आते हैं। जापान के साथ हुए समझौते में अस्पताल डायरिया के अलावा डिप्थीरया या गलघोंटू बीमारी पर शोध कर रहा है। मालूम हो कि हर साल अकेले दिल्ली में तीन से चार हजार बच्चों को डायरिया होता है। जिसमें से तीन प्रतिशत की मौत हो जाती है।
दिल्ली एनसीआर की कुछ संक्रामक बीमारियों का आंकड़ा
चिकनपॉक्स
वर्ष 2015 – 2585
वर्ष 2016- 4060
नोट- वर्ष 2017 जनवरी महीने में चिकनपॉक्स के 420 और फरवरी महीने में 146 मामले आए
हैजा या कॉलरा
वर्ष 2015- 248
वर्ष 2016- 269
नोट- वर्ष 2017 जनवरी महीने में 166 और फरवरी में हैजा 139 मरीज देखे गए
डिप्थीरिया
वर्ष 2015- 390
वर्ष 2016- 450