नई दिल्ली,
कोविड टीकाकरण के लिए देशभर में सीरिंज उपलब्ध कराने वाली कंपनी हिंदुस्तान सीरिंज एंड मेडिकल डिवाइस कंपनी में एक बार फिर सीरिंज का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। द कमिशन फॉर एअर क्वालिटी मैनेजमेंट ने दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए फैक्ट्रियों के उत्पादन को रोक दिया था। दस दिसंबर को जारी एक आदेश में प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन ने कहा कि तत्काल प्रभाव से सभी फैक्ट्री उत्पादन बंद कर दें। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए एक पत्र में मामले की जानकारी दी गई, पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद सोमवार से एक बार फिर हिंदुस्तान सीरिंज एंड मेडिकल डिवाइस कंपनी में उत्पादन शुरू हो सका।
मालूम हो कि कोविड टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में एचएमडी का विशेष योगदान है। देशभर में सभी टीकाकरण कार्यक्रम में प्रयोग की जानी वाली कुल सीरिंज का 66 प्रतिशत हिस्सा कंपनी द्वारा सप्लाई किया जाता है, एचएमडी में रोजाना 1.5 करोड़ नीडल या सूई तथा 80 लाख सीरिंज का उत्पादन किया जाता है, फैक्ट्री बंद होने से यहां सूई और सीरिंज का उत्पादन बंद हो गया था। हिंदुस्तान सीरिंज एंड मेडिकल डिवाइस कंपनी के एमडी राजीव नाथ ने बताया कि कंपनी में वर्ष 2011 से 4.3 मेगावाट पीएनजी पर उत्पादन किया जा रहा है, इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे एक पत्र में कहा गया कि देशभर में इस समय टीकाकरण के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, टीकाकरण के लिए सीरिंज और इंजेक्शन की सप्लाई एचएमडी द्वारा ही की जाती है, उत्पादन बंद होने से सप्लाई बाधित हो सकती है। पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद हरियाणा स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को जारी आदेश में कहा गया कि तत्काल प्रभाव से कंपनी में जरूरी मेडिकल उपकरण का उत्पादन शुरू किया जाए, सरकार की ओर से औपचारिक पत्र मिलने के बाद सोमवार से एक बाद कंपनी में उत्पादन शुरू कर दिया गया। प्रदूषण को देखते हुए भविष्य में मेडिकल उपकरण जैसे डिस्पोवैन सीरिंज आदि के उत्पादन केलिए कंपनी डिजल जेनसेट का प्रयोग कर सकती है, लेकिन उसपर उत्पादन की लागत अधिक पड़ती है, राजीव नाथ ने बताया कि डीजल जेनसेट पर 24 रुपए प्रति यूनिट का खर्च आता है जबकि पीएनजी पर 13.90 पैसे प्रति यूनिट खर्च आता है जबकि ग्रिड पॉवर प्रति यूनिट नौ रूपए पड़ती है। राजीव नाथ ने बताया कि उम्मीद करते हैं कि हरियाणा सरकार भी महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश की तरह कम लागत वाली प्रभावकारी नीतियां लागू करेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह फसल उगाने के समय में किसानों के लिए बिजली की आपूर्ति सुचारू रूप से की जाती है उसी तरह अक्टूबर से फरवरी माह के बीच जबकि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण सबसे अधिक रहता है, इस समय भी बिजली की नियमित आपूर्ति की जानी चाहिए, जिससे जेनेरेटर के प्रयोग से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके।