नयी दिल्ली,
बच्चों के कटे होठ जैसे चेहरे की विकृति का सही इलाज करने के मकसद से देश भर से तथा नेपाल से आये 100 से अधिक दंत चिकित्सकों के प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला का आयोजन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स में किया गया। चिकित्सकों ने गर्भावस्था के दौरान बच्चों में होने वाले मसूढ़ों की विकृतियों पर प्रकाश डाला, जो बाद में दांतों के विकास को प्रभावित करता है।
प्लास्टिक सर्जन, दंत चिकित्सक, बाल रोग विशेषज्ञ, नैदानिक आनुवंशिकीविद और नैदानिक मनोवैज्ञानिक सहित चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों ने कटे होठ के इलाज के पूर्ण प्रोटोकॉल के बारे में प्रतिभागियों को संवेदनशील बनाया। इस दौरान खराब दांत और चेहरे पर विकृति को ठीक करने पर अधिक जोर दिया गया। कटे होंठ या तालु में छेद एक ऐसी स्थिति है जब एक अजन्मे बच्चे में विकसित हो रहे होंठ के दोनों किनारे पूरी तरह से आकार नहीं ले पाते हैं । यह पोषण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के अलावा सीने में संक्रमण, कान की समस्या, खराब बोली और चबाने में असमर्थता की समस्या पैदा करता है ।
क्लेफ्ट क्रेनियोफेसियल आर्थोडोंटिस्ट और एम्स के दंत शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर ओ पी खरबंदा ने बताया कि दांतों का असामान्य विन्यास, खराब जबड़े और चेहरे की बदसूरती एक बच्चे को सामाजिक और कार्यात्मक रूप से विकलांग बनाती है । इस कार्यशाला को अन्य आर्थोडोंटिस्ट ने भी संबोधित किया।
(भाषा)