नई दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कोरोना वैक्सीन का शुभारंभ किया। देशभर के तीन हजार से ज्यादा टीकाकरण केन्द्रों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा गया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने उन तमाम कोरोना योद्धाओं के प्रति अपना आभार जताया जिन्होंने विषम परिस्थितियों में अपने परिवार से दूर रहकर कर मानवता की सेवा की। यह ऐसे लोग थे जो महीनों तक अपने घर नहीं गए, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को पहले कोरोना का वैक्सीन लगाकर हम उनके प्रति अपना ऋण चुकता करेंगें जिनमें से कई कोरोना वॉरियर ऐसे हैं जो लौट कर घर नहीं जा पाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि याद किजिए जनता कफ्र्यू का समय, यह वह समय था जबकि देश को पूरे देश को अनुशासन का परिचय देना था, यह बहुत मुश्किल समय था, लेकिन उस समय भी देश की जनता ने धैर्य और संयम का परिचय दिया। बीमारी का समय बेहद उदासी भरा रहा, बीमारी ने बीमार को भी अकेले कर दिया, अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग पिता के इलाज के लिए चाहकर भी उनके बेटे इलाज के लिए नहीं जा पाए, बहुत से लोग ऐसे थे जिन्हें अंतिम समय के समय की उन्होंने कहा कि भारत में सबसे पहले तीस जनवरी को कोरोना का पहला मामला सामने आया और इससे पहले ही सरकार ने हाईलेवर कमेटी बना दी थी, बीते साल 17 जनवरी को उच्च स्तरीय सर्विलांस तैयार कर दिया था, तथा अंतराष्ट्रीय उड़ानों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। पीएम ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक वैक्सीन की गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त हुए,तब ही वैक्सीन के इमरजेंसी प्रयोग की अनुमति दी गई। पीएम ने कहा कि पैरामेडिकल स्टाफ और फं्रट लाइन वर्कर ने एक एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया। इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर एक तरह से समाज अपना ऋण चुका रहा है। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी कोरोना का वैक्सीन लगवाया, इस मौके पर उपस्थिति स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने देसी कोविक्सन को लेकर लोगों के भ्रम को दूर करते हुए कहा कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है।