फसलों की पराली से अब नहीं होगा प्रदूषण

नई दिल्ली
हर साल दिल्ली में होने वाले प्रदूषण की प्रमुख वजह हरियाणा और पंजाब के खेतों में जलने वाली पराली को माना जाता है। जिसकी हवा से दिल्ली वासियों का सांस लेना दूभर हो जाता है। आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने इसका हल निकाला है। पराली से बनने वाली लुगदी को घरेलू बर्तन बनाने से लेकर पेपर बनाने तक में इस्तेमाल किया जा सकता है। क्रिया लैब नामक इस स्टार्टअप का प्रदर्शन 21 अप्रैल को आईआईटी के ओपेन हाउस में किया जाएगा।
आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट से देशभर के किसानों को जोड़ा जाएगा। क्रिया लैब के सीईओ और प्रोजेक्ट से जुड़े अंकुर कुमार ने बताया कि हमने कुछ इस तरह की तकनीक विकसित की है, जिसमें किसी भी तरह के एग्रीकल्चर वेस्ट से पल्प या लुगदी तैयार की जा सकेगी, इससे दो फायदे है पहला तो हम धान का कचना या पराली से भी किसानों की आमदनी हो सकेगी, दूसरे अन्य किसी भी तरह की लुगदी की अपेक्षा पराली से तैयार लुगदी पर्यावरण के पूरी तरह सुरक्षित होगी। इसके लिए बड़ी मशीनरी तैयार की जाएगी, जिससे अधिक संख्या में भी एग्रीकल्चर वेस्ट को उपयोग में लाया जा सके। अंकुर ने बताया कि आईआईटी की पढ़ाई करने के बाद दोस्तों ने आईएएस की तैयारी करने की जगह कुछ इनोवेटिव करने की सोची थी, शुरू से ही अंकुर को लकड़ी के बुरादे से लुगदी या कागज बनाने की तक प्रक्रिया काफी इनावेटिव लगती थी, अंकुर ने सोचा कि ऐसा कुछ किया जाएं जिससे वातावरण को भी बचाया जा सके और रोजगार सजृन भी हो, पराली से लुगदी बनाने के लिए क्रिया लैब बनाई, जिसमें पहले चरण में पराली को महीन पीसा जाता है इसके बाद ब्लीचिंग क्रिया से लुगदी को साफ किया जाता है। इस विधि से तैयार पल्प या लुगदी से बर्तन, कागज के अलावा अन्य जरूरी चीजे बनाई जा सकेंगी। एक किलो पराली की कीमत फिलहाल 45 रुपए निर्धारित की गई है।

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