बच्चों और युवाओं में ‘क्रेज ‘ बना फिजिट स्पिनर

नई दिल्ली, सार्वजनिक स्थान पर आजकल बच्चे या युवा एक पंखे जैसे ब्लेड वाला खिलौना दो उंगलियों के बीच घुमाते दिख जाएंगे। यह कोई नया खेल नहीं है, बल्कि स्ट्रेस या तनाव को कम करने का तरीका है और बाजार में इन दिनों तनाव कम करने वाला ‘खिलौना ‘ फिजिट स्पिनर खूब बिक भी रहा है.
बच्चों में तो फिजिट स्पिनर एक नया क्रेज बन चुका है. यह इतना ज्यादा लोकप्रिय हो चुका है कि मोबाइल फोन पर गेम खेलने या किसी गतिविधि के बजाय बच्चे फिजिट स्पिनर को उंगलियों से घुमाना अधिक पसंद कर रहे हैं. अभिभावकों को भी यह पसंद आ रहा है क्योंकि इसके जरिये वे अपने बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रख पा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि फिजिट स्पिनर घुमाने से एकाग्रता बढ़ती है और तनाव कम करने में मदद मिलती है. फिजिट स्पिनर तनाव दूर करता है या नहीं, यह शोध का विषय हो सकता है, लेकिन बच्चों में इसे खरीदने की होड लगी है. यह इसकी दीवानगी ही है कि आज बाजार में 100 से अधिक प्रकार के तरह-तरह के रंगों और डिजाइनों के प्लास्टिक तथा क्रोम मेटल के फिजिट स्पिनर धडल्ले से बिक रहे हैं. यही नहीं, तमाम ई-कामर्स वेबसाइटों पर भी इनके लिए जमकर आर्डर आ रहे हैं. साधारण प्लास्टिक के तीन ब्लेड के फिजिट स्पिनर का दाम 50 पये है. वहीं क्रोम मेटल के तीन से अधिक ब्लेड के अलग-अलग डिजाइनों वाले फिजिट स्पिनर की कीमत 200 रपये से लेकर 1,000 रपये तक है. थोक बाजार कन्फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स के महासचिव देवराज बवेजा कहते हैं कि सारा मामला मांग का है. कभी यह स्पिनर विदेशों में खूब चला था और आज देश में भी यह फैशन बन गया है. बवेजा का कहना है कि सदर बाजार में अन्य राज्यों से आने वाले लोग भी बेचने के लिए थोक में फिजिट स्पिनर खरीदकर ले जा रहे हैं. इसका सीधा सा मतलब है कि महानगरों के बाद अब छोटे शहरों में भी यह लोकप्रिय हो रहा है. जहां तक इसे तनाव दूर होने की बात है, इस बारे में राजधानी के आर एन कालरा अस्पताल के चेयरमैन डॉ. आर एन कालरा मानते हैं कि यह कंपनियों द्वारा अपने उत्पाद को बेचने का ‘गिमिक ‘ मात्र है. डॉ कालरा ने कहा कि किसी बच्चे को अगर तनाव है भी, तो इसका सबसे बेहतर तरीका माता-पिता और शिक्षकों द्वारा बच्चों की काउंसलिंग है.

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