नई दिल्ली,
विश्व हार्ट दिवस (28 सितंबर)
दिल के मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद भी लोगों को इस बात की बेहद कम जानकारी है कि हृदयघात में कोलेस्ट्राल की क्या भूमिका होती है? यह बात हम नहीं कह रहे हैं, हृदयघात को लेकर जारी किए गए ग्लोबल सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वे में 13 देश के तीन हजार ऐसे मरीजों से कोलेस्ट्राल की जानकारी जुटाई जो मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन के शिकार रहे हैं। 64 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जो दिल का दौरा पड़ने के बाद भी कोलेस्ट्राल को लेकर सचेत नहीं हुए।
विश्व हृदय दिवस पर हृदयघात और कोलेस्ट्राल की भूमिका पता लगाने के लिए अभियान की शुरूआत की गई, जिसमें 21 जून से लेकर 18 जुलाई तक 3236 मरीजों की जानकारी एकत्रित की गई, यह सभी पहले या दूसरे चरण के एमआई एक तरह का हृदयघात के शिकार रह चुके थे। स्वतंत्र वैश्विक विचार सर्वेक्षण (इंडिपेंडेंट ग्लोबल पब्लिक ओपिनियन रिसर्च कंसल्टेंसी) अमजेन द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में 40 से 49 आयुवर्ग के महिला व पुरूष मरीजों को शामिल किया गया।
सर्वे के प्रमुख आंकड़़े इस प्रकार हैं
– दस में से आठ लोगों हृदयघात के खतरे के बेहद करीब हैं
– खतरे के बाद भी एलडीएल-सी (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्राल या खराब कोलेस्ट्राल) की जानकारी नहीं
– 63 प्रतिशत मरीजों ने कहा कि उन्हे नहीं लगता कि हाई कोलेस्ट्राल की अवस्था में उन्हें दीर्घ कालीन सचेत रहने की जरूरत होती है
– 24 ने कहा कि उनके चिकित्सक से उनसे कभी कोलेस्ट्राल की हृदयघात में भूमिका को लेकर बात नहीं की
– बुजुर्गो की अपेक्षा 40 साल की उम्र के युवा हृदयघात के कारण और बचाव को लेकर अधिक जागरूक दिखे
– केवल 44 प्रतिशत मरीज ही अपने कोलेस्ट्राल की नियमित जांच कराते हैं
नोट- सर्वेक्षण यूनाइटेड किंगडम, मैक्सिको, ब्राजील, कनाडा, यूनाइटेड स्टेट, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली, नीदरलैंड, चीन, साउथ कोरिया और जापान के तीन हजार से अधिक एमआई के शिकार मरीजों पर किया गया।