नई दिल्ली,
दिन भर काम करने के बाद यदि शाम को मांसपेशियों में खिंचाव या अधिक थकान का अनुभव हो निश्चित रूप से इसके लिए आपकी काम करने की दिशा जिम्मेदार है। कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने वाले अधिकांश लोगों को सही दिशा का पता नहीं होता। हाल में हुए एक अध्ययन में इस बात का पता चला है कि काम करने की जगह पर दिशा में बदलाव करके न सिर्फ कर्मचारियों की काम करने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है बल्कि तनाव को भी कम किया जा सकता है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि काम करने की अप्राकृतिक दिशा की वजह से कंधे व मस्तिष्क पर अधिक जोर पड़ता है। कंप्यूटर पर काम करने वाले अधिकांश युवा 45 डिग्री कोण के झुकाव के साथ लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते हैं, जिसकी वजह से कंधे और हाथ के साथ ही रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियों पर दवाब पड़ता है। लंबे समय तक यह दवाब पड़ने की वजह से तनाव और काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है। पॉश्चर सिचुएशन को सही करने के साथ इन सभी स्थितियों से बचा जा सकता है। कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए अब अधिकांश कंपनियां एर्गनामिक्स पर काम करने लगी हैं।