नई दिल्ली। अगर आपकों सांस संबंधी दिक्कत है तो कोई भी दवा लेने से बेहतर है खाने में ब्रोकली के इस्तेमाल को बढ़ाएं, हाल ही में किए गए अध्ययन में सामने आया है कि सांस नली में संकुचन बढ़ाने के लिए कारक वायरस को ब्रोकली में उपस्थित एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों से कम किया जा सकता है। सीओपीडी (क्रानिक आब्सट्रेक्टिव एंड पल्मोनरी डिसीस) के मरीजों में वायरस से लड़ने वाले मारकोफेज सेल्स की क्षमता कम हो जाती है।
खाने में प्रोटीन की आपूर्ति करने के लिए लोग ब्रोकली प्रयोग करते हैं, जिसे एंटी ऑक्सीडेंट का भी बेहतर स्त्रोत माना जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट के अध्ययन दल से जुड़े डॉ. श्याम बिश्वल ने बताया कि फेफड़े में सूजन या संक्रमण के लिए कारक मारकोफेज की मात्रा को सल्फोराफाइननामक मॉलीक्यूल से बढ़ाया जा सकता है, जिसे एनआरएफटू भी कहा जाता है। हरे रंग की ब्रोकली में प्रोटीन के अलावा सल्फोराफेन की भी मात्रा पाई जाती है। अध्ययन के लिए सिगरेट पीने और न पीने वाले मरीजों के फेफड़े में उपस्थित मारकोफेज का अध्ययन किया गया, चूहों पर किए गए शोध में देखा गया कि सल्फोराफाइन तेजी से मारकोफेज की मात्रा को बढ़ा सकता है। अध्ययन दल ने दूसरे चरण के मरीजों को नेबूलाइजर के साथ सल्फोराफाइन दिया, जिससे फेफड़ों में कम संकुचन देखा गया। लगातार दो सप्ताह तक किया गया ब्रोकली का इस्तेमाल ब्लड सेल्स में मारको का स्तर और एंटीऑक्सीडेट तत्वों को बढ़ाकर मरीजों साधारण सांस लेने में मदद करता है।
क्या कहते हैं अन्य विशेषज्ञ
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि सांस लेने की तकलीफ यदि जन्म से नहीं हैं तो बीमारी के शुरूआती लक्षण पहचान कर संकुचन बढ़ने से रोका जा सकता है। ब्रोकली में फोलिक एसिड और विटामिन सी की भी अधिक मात्रा होती है जो फायदेमंद कही जा सकती है।
क्या है ब्रोकली
-विटामिन सी का बेहतर स्त्रोत
-इसमें पाया जाने वाला पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है
-गहरे हरे रंग की ब्रोकली का कैरोटायनायड न्यूट्रिंट का स्त्रोत है
-कैल्शियम की अधिक मात्रा, आस्टियोपोरिस के मरीजों के लिए कारगर