नई दिल्ली,
कोविड के नये वेरिएंट ने एक बाद फिर देश में खतरे की घंटी बजा दी है। एक तरफ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय लगातार त्योहार पर कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने की अपील करा है वहीं दूसरी तरफ अगस्त महीने के बाद पहली बार अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में कोविड के मामलों में उछाल देखा गया है। वहीं संक्रमण की वजह से मरने वालो का आंकड़ा भी बढ़ गया है। एनसीडीसी ने भी कोविड के डेल्टा समूह के नये वेरिएंट एवाई 4.2 के केस पाए जाने की बात से इंकार नहीं किया है। राष्ट्रीय सर्विलांस नेटवर्क इंसाकाग के वैज्ञानिक लगातार वेरिएंट ऑफ कंसर्न पर नजर बनाए हुए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में कोविड के डेल्टा वेरिएंट के एक और समूह की पहचान कुछ मरीजों में की गई है। हालांकि एनसीडीसी (नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्र्रोल) ने अभी इसे अधिक संक्रामक नहीं बताया है। एनसीडीसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर से सटे कुछ उप समूहों में नये वायरस के मामले देखे गए है। इसके साथ ही इन उप समूहों में अगस्त के बाद से लगातार कोविड के मामलों में भी तेजी देखी जा रही है। जानकारी के अनुसार एमपी के इंदौर शहर में नये वेरिएंट के सात मामले देखे गए हैं, संक्रमित सात मरीजों में दो आर्मी अधिकारी है जो कंटोमेंट एरिया में ड्यूटी कर रहे थे। वहीं महाराष्ट्र में जांचे गए कुल सैंपल के एक प्रतिशत में नये वेरिएंट के मामले देखे गए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि नया वेरिएंट अधिक संक्रामक और घातक हो सकता है, इसलिए हमें सचेत रहने की जरूरत है। यूके में डेल्टा वायरस के नये एवाई4.2 को वेरिएंट अंडर इंवेटिगेशन की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि अभी तक हुए अध्ययन और शोध के अनुसार इंगलैंड में अप्रैल महीने के बाद हुए कोविड के मामलों में बढ़ोतरी की वजह एवाई 4.2 वेरिएंट को ही माना गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नये वेरिएंट को डेल्टा प्लस का डब किया हुआ वेरिएंट कहा जा सकता है। एनसीडीसी के अनुसार इंदौर के कुछ उप समूहों में बीते दो महीने में कोविड के मामलों में 64 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है, इसकी वजह का विश्लेषण किया जा रहा है। यूके की हेल्थ सिक्योरटी एजेंसियां लगातार वेरिएंट के बदलाव पर शोध कर रही है। भारत में लिनेज समूहों में मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है। अब तक के आकलन के अनुसार नये वेरिएंट एसएआरसीओवीटू समूह का ही वेरिएंट है। मालूम हो कि देश के कुछ राज्यों मे भले ही कोविड पर काबू पा लिया गया हो लेकिन महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में लगातार कोविड के एक्टिव केस देखे जा रहे हैं।