नई दिल्ली: देश में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, बीमारी से जूझ रहें अधिकांश लोगों को यह पता ही नहीं होता कि उन्हें इलाज लेना भी है और अगर इलाज कराना भी है तो कहां से कराया जाएं, मानसिक रोगियों को सही समय पर बेहतर इलाज देने की पहल मुंबई में शिवसेना के पार्षदों ने की है। इस बारे में सेना ने सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखा है, जिसमें मानसिक रोगियों के लिए एक अलग अस्पताल बनाएं जाने की मांग की है और यह अस्पताल किसी भी तरह से मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के लिए नहीं जाना जाएगा। मालूम हो कि मानसिक परेशानी या बीमारी से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति को मानसिक रूप से विक्षिप्त नहीं कहा जा सकता। इस संदर्भ में शुरू किया गया अस्पताल मानसिक रोग ही नहीं मानसिक विकारों का भी इलाज करेगा।
राष्ट्रीय मानसिक रोग सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार भारत में अनुमानिक 15 करोड लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत है। इस समय कुल 10.4 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के मानसिक स्वास्थ्य विकार के शिकार हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि कोई भी व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य है या नहीं इसके लिए उसको करीब से समझने की आवश्यता होती है, बहुत बार लक्षण सामने नहीं आते हैं और लोग खुद को सामान्य दिखाने की ही कोशिश करते हैं। हालांकि इस संदर्भ में भारत सरकार की पहल के बाद देशभर के 27 प्रतिशत जिलों में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। बावजूद इसके लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करने की जरूरत है।
लाइफ कोच और हीलर अमरजीत सिंह कहते हैं कि मानसिक विकारों की बढ़ने की अहम वजह दिनचर्या में संतुलन न बना पाना है। काम और व्यक्तिगत जीवन में जब सामंजस्य नहीं हो पाता तो हम चिड़चिड़े हो जाते हैं और इसका असर हमारे जीवन पर पड़ता है। कई बार परेशानियों का हल करने की जगह हम लड़ना शुरू कर देते हैं और कई बार चुप रहना बेहतर समझते हैं, जबकि दोनों ही स्थितियां ठीक नहीं है। लाइफ कोचिंग इस सब चीजों का समाधान करती है। इसमें बेहद छोटी लेकिन अहम चीजों के जरिए आपको जीने का ढंग सिखाया जाता है। यह आपकी लाइफ को पूरी तरह बदलने का काम करती है। इसलिए जब अगली बार आप तनाव में हो तो आसपास एक लाइफ कोच को जरूर खोजिए, जो आपकी समस्याओं का चुटकी में हल कर सकता है।