मोटापा कम हुआ तो आने लगे शादी के रिश्ते

21 वर्षीय रूखसाना की शादी सिर्फ इसलिए नहीं हो रही थी, क्योंकि उसका वजन उम्र से पांच गुना अधिक था। 135 किलोग्राम की रूखसाना के लिए उसका वजन शादी में बड़ी रूकावट था। मध्यम वर्गीय परिवार होने के कारण पिता के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि उसकी सर्जरी कराकर मोटापा कम करा सके। ऐसे में लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के बैरिएट्रिक सर्जरी यूनिट ने रूखसाना की मदद की, दो साल पहले उसने पंजीकरण कराया अब उसका वजन 69 किलोग्राम हो गया है।
मोटापा कम करने की सर्जरी में होने वाले महंगे खर्च का समाधान लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल ने ढुंढ निकाला है। जहां बिना किसी शुल्क के अब तक 30 मरीजों पर सफल सर्जरी की जा चुकी है। इसमें सबसे कम उम्र के 21 वर्षीय युवक और सबसे अधिक 50 वर्षीय बुजुर्ग के मोटापे का इलाज किया गया है। क्लीनिक के प्रमुख और सर्जन डॉ. पवनेंदर लाल ने बताया कि मोटापा उच्च वर्ग के लोगों में नहीं निम्न और मध्ययम वर्ग के लोगों की भी समस्या है। वर्ष 2010 में शुरू किए गए विभाग में अब तक 140 लोगों ने सर्जरी के लिए पंजीकरण कराया है, जिसमें 30 लोगों का वजन कम किया जा चुका है। इसमें सबसे अधिक उम्र के 50 वर्षीय बुजुर्ग की सर्जरी की गई, जिनका वजन 135 किलोग्राम था, सर्जरी के दौरान गैस्ट्रिक स्लीव प्रक्रिया अपनाई गई। अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिचा दीवान ने कहा कि सर्जरी के लिए डेढ़ से दो लाख की मशीन उपलब्ध कराई गई। निजी अस्पताल में 3 से चार लाख रुपए के खर्च में होने वाली बैरिएट्रिक सर्जरी के लिए एलएनजेपी में कोई शुल्क नहीं लिया गया। मालूम हो कि इससे सरकारी अस्पतालों में एम्स में ही बैरिएट्रिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।

कितनों का हुआ इलाज
कुल पंजीकरण – 140
कुल सर्जरी – 101
सफल ऑपरेशन- 80
25 मरीज प्रक्रिया में हैं
नोट- बैरिएट्रिक सर्जरी के लिए हर दूसरे और चौथे बुधवार को अस्पताल के मेटाबॉलिक विभाग में काउंसलिंग की जाती है।

कैसे होता है मोटापा कम
गैस्ट्रिक बैंडिंग- इस विधि में भूख को नियंत्रित कर मोटापे को कम करने का लक्ष्य रखा जाता है। अमाशय के एक हिस्से को मुख्य भाग से अलग कर बांध देते हैं। इसके लिए अमाशय की पैंचिंग की जाती है। इससे पेट में पहुंचने वाली खाने की मात्रा अपने आप कम हो जाती है।
स्लीव गैस्टैक्टमी-इस प्रक्रिया में सर्जरी कर अमाशय के हिस्से को शरीर से ही निकाल देते हैं। अमाश्य का आकार कम होने के कारण खाना खाने की क्षमता ही कम हो जाती है। इस प्रक्रिया में चार से पांच घंटे का समय लगता है।
गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी- इस सर्जरी में अमाशय की कई जगह से पैचिंग की जाती है। इसके लिए एक बैंड का इस्तेमाल किया जाता है, जो अमाशय एक बड़े हिस्से को जाकर बंद कर देता है। बैंडिंग के जरिए पेट में पहुंचने वाली 50 प्रतिशत कैलोरी को रोका जा सकता है।

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