युवा अलर्ट, खानपान पर कर रहे हैं फोकस

अच्छी सेहत वैश्विक चिंता का विषय है, लेकिन यह राहत की बात है कि भारतीयों में उचित खानपान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। 20 साल के युवा और 60 साल के बुजुर्ग सेहत और वजन की समस्याओं को हल करने के लिए पौष्टिक खुराक पर एक जैसा ही ध्यान देते हैं।
विश्व पौष्टिकता सप्ताह के मौके पर, ग्रो फिट मोबाइल हेल्थ कम्पेनियन ने अपने 1.2 लाख उपयोगकर्ताओं के आधार पर आंकड़े जारी किए। अध्ययन के निष्कर्ष के मुताबिक 50 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिनमें थॉयरायड, पीसीओडी और डायबिटीज शामिल हैं।
विश्व पौष्टिकता सप्ताह के दौरान शारीरिक और मानसिक सेहत के उचित पोषण पर जोर देते हुए ग्रो फिट 30 करोड़ भारतीयों को अच्छी सेहत प्राप्त करने में सहयोग कर रहा है। यह आंकड़े जनवरी से लेकर आठ महीनों के दौरान इस प्लेटफार्म पर हुई 1.3 करोड़ बातचीत के अध्ययन से जुटाए गए हैं।
अध्ययन के मुताबिक 70 से 80 प्रतिशत प्रयोगकर्ता श्रीनगर, जालंधर, नागपुर, सूरत, विजवाड़ा और इंफाल जैसे द्वितीय श्रेणी के शहरों और छोटे कस्बों से हैं। इससे जाहिर होता है कि अच्छी सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार 75 प्रतिशत लोगों ने वजन कम करने के लिए ग्रो फिट से संपर्क किया। इसमें 15 प्रतिशत लोगों का बीएमआई सामान्य है लेकिन वह शरीर के कुछ खास हिस्सों से वजन कम करना चाहते हैं, इसमें पेट की चर्बी प्रमुख है। ज्यादातर आबादी पेट की चर्बी कम करने की समस्या से जूझ रही है। इससे दिल के रोग की कई समस्याएं जुड़ी हैं। हाल के अध्ययन में पता चला है कि इन्सुलिन की प्रतिरोधात्मकता से बढ़ा हुआ मोटापा व्यायाम की बजाए आहार से ठीक हो सकता है। वजन बढ़ाने की ख्वाहिश रखने वाले 10 प्रतिशत लोगों का वजन सामान्य से कम था।
ग्रो फिट की सीईओ ज्योत्सना पत्ताबिरमन ने बताया कि संतुलित आहार लेने और उचित शारीरिक व्यायाम और गतिविधियों से वजन नियंत्रित रखा जा सकता है। विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान के मेल से ग्रो फिट लोगों को सेहतमंद, खुशहाल जीवन जीने के सूत्र बताता है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, भारत पर बीमारियों का आर्थिक बोझ 2030 तक करीब 4.58 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा। विश्व पौष्टिकता सप्ताह में हम सही पौष्टिकता के जरिए रोगों के इलाज के बारे में जागरूक करना चाहते हैं।
पौष्टिक आहार की कमी से स्वास्थ्य के साथ त्वचा और बालों पर भी असर पड़ता है। बातचीत में 30 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं ने बाल और त्वचा की समस्याओं के बारे में सवाल किया, जो पौष्टिक आहार की कमी का संकेत है। इस अध्ययन में कई उम्र के लोग शामिल रहे, इनका मानना है कि वे सेहत को गंभीरता से लेने लगे हैं। इसमें थायरायड और पीसीओडी की समस्या से परेशान 80 किलो वजन वाले 16 साल के युवा के साथ 62 साल की अस्थमा, हाइपरटेंशन की समस्या वाली महिला भी शामिल रही।

सोर्स: भाषा

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