स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक अहम पहल की है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारी हर साल चार अवकाश ले सकेगें, इसलिए उनको लाइसेंस प्राप्त ब्लडबैंक में खून दान करना होगा। डीओपीटी की ओर से जारी की गई इस सुविधा का आईएमए और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने स्वागत किया है। मालूम हो कि यह अवकाश आकस्मिक भी लिया जा सकेगा।
भारत में हर साल करीब पांच करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, जिसके एवज में केवल 2.5 करोड़ यूनिट खून ही उपलब्ध हो पाता है। इस बावत हार्ट केयर फाउंडेशन और आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि साल में कम से कम एक बार रक्तदान करने से भविष्य में हृदयघात का खतरा कम हो सकता है। डीओपीटी के नये नियम से सरकारी कर्मचारियों में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा दिया जा सकेगा। नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के नये नियमों के खून का एक भी बूंद अब बर्बाद नहीं किया जा सकता, रक्तदान के बचे हुए प्लाज्मा से अल्युमिन और इंट्रावीनस इम्यूनोग्लोबिन्स को बनाया जा सकता है। डॉ. केके ने बताया कि रक्तदान के लिए शिविर का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए, जबकि इसकी जगह कंम्पानेंट ओनली शिविर लगाकर मरीज की जरूरत के अनुसार खून के प्लाज्मा या अन्य जरूरी द्रव्यों को लिया जा सकता है।