रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो तो प्रदूषण के प्रकोप से बच सकते हैं बच्चे

मौजूदा समय में विशेष तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के प्रकोप और बच्चों को उससे होने वाले खतरों की आशंकाओं के बीच विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि प्रदूषित जल और खान-पान भी भारतीय बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर रहा है और कई गंभीर रोगों के प्रति उन्हें संवदेनशील बना रहा है। हालांकि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से बच्चे प्रदूषण से बच सकते हैं।
अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफर्मेशन एनसीबीआई ने भारत के शहरी इलाकों में रहने वाले स्कूली बच्चों की सेहत और पोषण विषय पर शोध किया था जिसमें यह पता चला है कि तरह-तरह के संक्रमणों की चपेट में आकर हर तीन बच्चों में से एक बच्चे को स्कूल की छुटटी करनी पड़ती है शोध के मुताबिक भूजल बेहद प्रदूषित हो चुका है और इसमें खतरनाक रसायन और भारी धातु मौजूद हैं जो बच्चों के तंत्रिका तंत्र, गुर्दों, पाचन तंत्र समेत उनकी संपूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
फोर्टिस अस्पताल में नेनोनेटोलॉजी के विभागाध्यक्ष और अतिरिक्त निदेशक डॉ़ विवेक जैन कहते हैं, वायु और भूजल प्रदूषण के अलावा हमारा खान-पान भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं और उन्हें सांस की परेशानी, यकत और गुर्दों संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।
उन्होंने इंटरनेशन जर्नल ऑफ बेसिक ऐंड अप्लाईड साइंसेस के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि हम रोजमर्रा में जितनी भी साग-सब्जियां खाते हैं उनमें धातु तत्वों का असंतुलन रोग प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषणजनित रोगों से बचने के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी होना जरूरी है। इसके लिए बच्चों के आहार पर ध्यान देना जरूरी है। चूंकि बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं हुई होती है इसलिए वे रोगों की चपेट में आसानी से आ जाते हैं।

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