नई दिल्ली: स्ट्रोक की सबसे ज्यादा आशंका 55-65 साल की उम्र में होती है। अनुवांषिक कारणों यानि जेनेटिक रिजन के अलावा उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कलोस्ट्रोल, धूम्रपान, व्यायाम न करना और भोजन की अस्वास्थ्यकर आदतें इसके प्रमुख कारण है। स्ट्रोक की सबसे ज्यादा खतरा हाई ब्लड प्रेशर यानि उच्च रक्तचाप में रहती है। जब आपकी धमनियों में खून बहुत तेजी से बहता है तो यह धमनियों की दीवारों को कमजोर कर सकता है या तोड़ सकता है और यही स्ट्रोक का कारण बनता है। भोजन की अस्वास्थ्यकर आदतें और शारीरिक व्यायाम नहीं करने से सीवीडी, मधुमेह और कलोस्ट्रोल बढने का खतरा रहता है। इससे धमनियों में रूकावट आती है और इसके चलते दिमाग तक खून पहुंचना रूक सकता है।
डॉक्टर विपुल गुप्ता का कहना है कि उम्र बढने के साथ स्ट्रोक की जोखिम बढ जाती है। पुरूषों में महिलाओं की तुलना में कम उम्र में स्ट्रोक आ सकता है। जो महिलाएं गर्भ रोकने की दवाइयां लेती है, उनमें स्ट्रोक की आषंका थोडी ज्यादा रहती है। गर्भकाल के दौरान भी महिलाओं में जोखिम ज्यादा होता है, क्योंकि रक्तचाप बढ जाता है और इससे दिल पर जोर पडता है। इसके अलावा माइग्रेन के कारण भी महिलाओं में स्ट्रोक की आषंका तीन गुना तक बढ जाती है। गम्भीर स्ट्रोक तब आता है जब दिमाग तक खून की आपूर्ति की रूक जाती है। इससे कुछ दिमाग की कुछ कोषिकाएं तुरंत मर जाती है, लेकिन अगले कुछ घंटों में यदि खून की आपूर्ति बहाल कर दी जाए तो दिमाग के कुछ हिस्से को बचाया जा सकता है। यदि स्ट्रोक के छह घंटे में उपचार के लिए लाया जाता है तो इन आधुनिक तकनीकों से बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते है।
तकनीकी प्रगति और विषेषज्ञता के कारण अब दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नसों को बिना किसी ज्यादा चीरफाड के आसानी से ठीक किया जा सकता है। आधुनिक बाइप्लेन डीएसए और हाई रेज्येल्यूषन स्क्रीन विद सीटी और एम आर की मदद से स्ट्रोक का इलाज और भी आसान हो गया हैं।