विटामिन डी की कमी कर सकती है दिमाग सुन्न

नई दिल्ली: सिर्द दर्द, चलने में दिक्कत या फिर चक्कर आने पर साधारण लोग ब्लडप्रेशर कम होने का अनुमान लगाते हैं। लेकिन लक्षण यह मस्तिष्क की मल्टीपल स्केलोरोसिस बीमारी के भी हो सकते हैं। जेनेटिक मानी जानी बीमारी का कारक अब लाइफ स्टाइल को भी माना जा रहा है, खाने में विटामिन डी की कमी भी एमएस बीमारी को दावत दे सकती है।

हर साल की तरह इस बात भी 30 मई को एम्स में मल्टीपल स्केलोरोसिस दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संस्थान के कार्डियोथेरोसिक और न्यूरोसाइंस सेंटर के प्रोफेसर डॉ. रोहित भाटिया ने बताया कि ऑटोइम्यून बीमारी में मस्तिष्क के न्यूरोरोन्स को नियंत्रित करने वाले मायलिन की परत क्षतिग्रस्त होने लगती है, जिससे मस्तिष्क द्वारा शरीर के विभिन्न हिस्सों को पहुंचने वाले संदेश नहीं पहुंच पाता है। जिसका असर नजर का तुरंत तेजी से कम होना, शरीर के एक हिस्से का सुन्न होना या फिर एक हाथ का न चलना आदि लक्षण शामिल हैं। बीमारी का इलाज स्टेरॉयड दवाओं से किया जाता है। दूर दराज के क्षेत्र में कुशल न्यूरोलॉजिस्ट न होने की वजह से बीमारी बीमारी की केवल दो से तीन प्रतिशत ही पहचान हो पाती है।

मल्टीपल स्केलोरोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया की डॉ. मीनाक्षी भुजवाला ने बताया कि 20-30 की उम्र में बीमारी की संभावना अधिक होती है, हालांकि अब तक सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है। लेकिन जागरुकता से इसके गंभीर होने से पहले पहचान की जा सकती है। यदि एक आंखों की दृश्यता में तुरंत बड़ा परिवर्तन दिखे तो न्यूरो ऑप्थेमोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। एमआइआई जांच से सेंटल नर्व सिस्टम में होने वाले परिवर्तन को देखा जाता है। बीमारी पहचान में आने के बाद शुरू में कुछ दिनों के लिए स्टेरॉयड दवाएं भी दी जाती हैं। एमएस के इलाज का एक समय का खर्च इस समय 25 से 70 हजार रुपए है। हालांकि बीते साल एफडी ने दो दवाओं को स्वीकृति दी है, जिसके बाद बीमारी के इलाज के खर्च को कम किया जा सकता है।

युवाओं को अधिक खतरा
20 से 40 साल की उम्र में हालांकि युवाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती हैं, बावजूद इसके आटोइम्यून बीमारी होने की वजह से युवाओं में एमएस का प्रतिशत अधिक देखा गया है। एम्स की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एमवी पद्मावत ने बताया कि जेनेटिव वजह का अभी तक पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन सही समय पर जांच से इसके गंभीर होने से बचा जा सकता है।

क्या है बीमारी का आंकड़ा
मल्टीपल स्कोलोरोसिस सोसाइटी में अब तक केवल 3000 मरीजों ने पंजीकरण कराया है, जबकि संख्या इससे अधिक हो सकती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक एक लाख आबादी में 30 को एमएस की संभावना हो सकती है। महिलाआें में एमएस का खतरा पुरुषों की अपेक्षा अधिक देखा गया है। जबकि यह नहीं कहा जा सकता है कि बीमारी जेनेटिक कारणों से भी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *