विटामिन बी नहीं होने देता दिल में रूकावट

नई दिल्ली,
खाने में अगर विटामिन बी की अधिकता है तो आप दिल की धमनियों की रूकावट से काफी हद तक सुरक्षित रह सकते हैं। इसके विपरीत अगर विटामिन बी की कमी है तो इससे धमनियों में खून का थक्का बनने की संभावना चार गुना बढ़ जाती है। भारतीयों में खाने की आदत कुछ ऐसी है कि वह अन्य देशों की अपेक्षा विटामिन बी की कम मात्रा का सेवन करते हैं। जिसके कारण कम उम्र में ही धमनियों में खून जमने की समस्या बढ़ने लगी है।
हम खाने में कितना विटामिन बी इस्तेमाल करते हैं। इस बात का पता लगाने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से सरगंगाराम अस्पताल और जामियामिला इस्लामिया में हुए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। अध्ययन जर्नल ऑफ क्लीनिकल बायोकैमिस्ट्री एंड न्यूट्रिशियन में प्रकाशित हुआ है। सरगंगाराम अस्पताल की बायोकैमिस्ट्री विभाग की डॉ. सीमा भार्गव ने बताया फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 को सही समय पर यदि खाने में शामिल कर लिया जाएं तो 35 के बाद होने वाली सीवीडी (कार्डियो वॉस्कुलर डिसीस) को रोका जा सकता है। धमनियों में रूकावट के लिए प्लाज्मा होमोसाइटिन को जिम्मेदार माना जाता है। जिसे विटामिन बी से कम किया जा सकता है। बायोकैमिस्ट्री विभाग के डॉ. एलएम श्रीवास्तव ने बताया खाने को लेकर भारतीय सजग हैं, लेकिन माइक्रोन्यूट्रिएंट की कम जानकारी ही उन्हें मधुमेह और दिल की बीमारियों के करीब ले जा रही है। आईसीएमआर के सहयोग से किये गए अध्ययन में देखा गया मांसाहारी अधिक मात्रा में प्रोटीन ले लेते हैं, जबकि शाकाहारी कार्बोहाइड्रेड अधिक लेते हैं, इन सबके बीच माइक्रोन्यूट्रिएंड जैसे विटामिन बी, बी 12 और फोलिक एसिड पर ध्यान ही नहीं देते हैं। हड्डियों के लिए जिस तरह विटामिन डी जरूरी है, उसी तरह दिल की सुरक्षा विटामिन बी से की जा सकती है। सरगंगा राम अस्पताल के चेअरमैन बोर्ड ऑफ डॉ. डीएस राना ने बताया कि आईसीएमआर के सहयोग से इस समय हर साल अस्पताल में 250 शोधकार्य किए जा रहे हैं।
कैसे होगा फायदा
विटामिन बी पानी में घुलनशील विटामिन है। यह सेल्स के मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है। जो संक्रामक बीमारियों से रक्षा कवच भी तैयार करता है। विटामिन बी से लेकर बी 12 तक सभी के अपने खास गुण हैं। आलू और हरी सोयाबीन में विटामिन बी 6 और बी12 पाया जाता है। जबकि विटामिन बी वन मांस, मछली और दूध में पाया जाता है। दवाओं से कहीं अधिक बेहतर है कि खाद्य पद्धार्थो के जरिए इसे लेना अधिक बेहतर है।

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