नई दिल्ली,
देश में पोतों के विकास के लिए सरकार साठ साल पुराने मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट 1963 में बदलाव लाने जा रही है। दो मार्च ने प्रस्तावित सदन में संशोधित बिल को पास कर दिया जाएगा। मेजर कोर्ट प्राधिकरण बिल 2020 के तहत देश के प्रमुख 12 पोर्ट को स्वायत्ता दी जाएगी। जिससे वह अहम निर्णय खुद ले सकेगें, अभी तक पोतों को इसके लिए मंत्रालय से अनुमति लेनी होती थी। सरकार 12 पोतों को पीपीपी मॉडल के आधार पर संचालित करेगी। इससे निजी पोतो के जरिए भी नए रोजगार के अवसर तलाशें जा सकेगें।
रसायन, उर्वरा एवं पोत स्वतंत्र राज्यप्रभार मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि पुराने बिल की वजह से कई तरह की व्यवहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, कई बार कई तरह के कानूनी विवाद भी पैदा होते हैं, ऐसे में पोतो को खुद निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता है, उन्हें ऐसी परेशानियों को लेकर मंत्रालय तक आना पड़ता है, जिससे पोतों का विकास बाधित होता है। नए मेजर पोर्ट आर्थारिटी बिल 2020 के बाद प्रमुख 12 पोतो को संचालन संबंधी कई अधिकार दिए जाएगें, इससे निजी कार्गो का संचालन भी बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में पुराने नियमों के साथ पोतो के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है, निजी अधिकार देने से पोतो अपना संचालन कर सकेगें, इससे रोजगार पैदा होगें और कई तकनीकि निर्णयों को लेने की स्वतंत्रता से लागत में भी कमी आएगी। निजी कार्गो की आवाजाही पोतो पर बढ़ाई जा सकेगी। मार्च महीने से शुरू होने वाले दूसरे बजट सत्र में सरकार इस बिल को मंजूरी दे देगी।