सार्वजनिक और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश जरूरी- डॉ. सौम्या

नई दिल्ली,
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित (स्ट्रीम्ड) 15वें जेआरडी टाटा मेमोरियल व्याख्यान में जेनेवा से बोलते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि पिछले नौ या दस महीनों के दौरान मैंने जो सबसे महत्वपूर्ण सबक जो सीखा है, वह है सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश की जरूरत। हमने उन देशों के उदाहरण देखे जहां पिछले एक या दो दशकों के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में किए गए निवेश का फल मिला है। इसके विपरीत, हमने उच्च आय वाले देशों को भी देखा जो अपनी वर्तमान स्थिति से अभिभूत थे और उन्होंने ऐसा कोई तंत्र विकसित नहीं किया जिनकी आज जरूरत है। ”
अपने दूरदर्शी संस्थापक, जेआरडी टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने जेआरडी टाटा व्याख्यान(ओरेशन) का आयोजन किया था। 1990 में शुरू हुई इस वार्षिक व्याख्यान श्रृंखला में स्वास्थ्य, जनसंख्या और विकास से संबंधित अहम मुद्दों पर व्याख्यान देने के लिए जाने-माने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ताओं को आमंत्रित किया गया था। पिछले व्याख्यानों में अनेक बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, दूरदर्शी व्यक्तित्व और कुछ पूर्व प्रधानमंत्री भी शिरकत कर चुके हैं। इनमें श्री आईके गुजराल, डॉ. नफीस सादिक, श्री जमशेद जे ईरानी, डॉ. मनमोहन सिंह, श्री नितिन देसाई, प्रोफेसर अमत्र्य सेन और डॉ. बाबटंडे ओसोटाइमिन आदि शामिल हैं।
डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने अपने वक्तव्य में महिलाओं और बच्चों पर महामारी के विभेदक प्रभाव पर प्रकाश डाला। कोविड -19 का शिक्षा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, प्रजनन स्वास्थ्य और सेवाओं पर पड़ने वाले असर को रेखांकित करते हुए डॉ. स्वामीनाथन ने निम्नलिखित प्रमुख कारकों की पहचान की जो लैंगिक प्रभाव को संबोधित करेंगे।

1. आवश्यक सेवाओं के पैकेज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा शामिल है
2. अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के लिए सामाजिक सेवाएं
3. सेक्स और उम्र के महत्व का अलग-अलग डेटा
4. आयुष्मान भारत जैसी यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज योजनाओं का महत्व

उन्होंने लैंगिक विश्लेषण और लैंगिक आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों के महत्व को रेखांकित किया। उनके सशक्त वक्तव्य की मुख्य बातें :

1. लैंगिक डेटा को अलग-अलग एकत्र करने की आवश्यकता है
2. कोविड-19 संबंधी भ्रामक और झूठी सूचनाओं की भरमार को देखते
हुए इन्फोडेमिक प्रबंधन
3. व्यवहार में हुए बदलाव के ट्रिगर्स की पहचान करना और संबोधित करना
4. तकनीक का कल्पनाशील इस्तेमाल और हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को
सशक्त बनाना, जो भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की नींव हैं
5. और अंत में, स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को ऊपर उठाने पर
विचार करना, जो स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच की तुलना में स्वास्थ्य
और जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक, सुश्री पूनम मुत्तरेजा ने कहा कि इस वर्ष का व्याख्यान हमारे लिए खास है – यह हमारी 50 वीं वर्षगांठ है। जेआरडी टाटा हमारे प्रमुख संस्थापकों में से एक हैं। हमारा दृढ़ता से मानना है कि यदि हमारे संस्थापक पिता आज यहां होते, तो लाखों लोगों, विशेषकर लड़कियों और महिलाओं के जीवन में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा लाए गए बदलावों को देखकर गर्व महसूस करते।

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