नई दिल्ली; कॉर्निया के केवल इनर लेयर से एम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर मरीजों की आंखों की रोशनी वापस दिलाने की सर्जरी की शुरुआत की है। जहां नॉर्मल प्रोसीजर में कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए पूरा टिशू की जरूरत होती है, अब एम्स के आरपी सेंटर के डॉक्टर केवल अंदर वाले लेयर से ही ट्रांस्पलांट कर दे रहे हैं। इस नई तकनीक के इस्तेमाल से स्टीच की जरूरत नहीं होती है,
रिकवरी फास्ट होता है, आंखों की रोशनी बेहतर आती है, रिजेक्शन का खतरा कम रहता है, इन्फेक्शन नहीं होता है और मरीज जल्दी घर चला जाता है।
एम्स के डॉक्टर जे एस टिटियाल ने कहा कि हम समय के साथ नई नई तकनीक को यूज कर रहे हैं, ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो। डॉक्टर ने कहा हम एक कॉर्निया को दो से तीन मरीज में यूज कर रहे हैं। पहले एक कॉर्निया एक मरीज में यूज होता था। जब नई तकनीक आई तो हम भी एक कॉर्निया को काट कर दो से तीन में यूज करने लगे। यह तभी संभव होता है तब दान में मिले कॉर्निया के बाद उसी समय दो से तीन मरीज उपलब्ध हो। क्योंकि एक बार अगर कॉर्निया काट दिया तो उसे तुरंत यूज करना होता है, उसे प्रिजर्व कर नहीं रखा जा सकता है। दूसरा एक मरीज जो पहले से एडमिट है उसे दूसरे मरीज के आने तक इंतजार नहीं कराया जा सकता है। जब दोनों मरीज साथ में होते हैं तो कॉर्निया काट कर दो मरीज में इस्तेमाल हो रहा है।
डॉक्टर राधिका टंडन ने बताया कि अब इसी दिशा में कॉर्निया का सबसे अंदर वाला लेयर ही लेते हैं और उसे ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। डॉक्टर टंडन ने कहा कि एक महीने पहले इस तकनीक का यूज पहली बार एम्स में शुरू किया गया है, अब तक 30 मरीजों में इस तकनीक से सर्जरी की जा चुकी है। डॉक्टर ने कहा कि इसमें रिजेक्शन बिल्कुल नहीं होता है, क्योंकि लेयर में ब्लड वेसेसल्स नहीं होता है। यह काफी छोटा 15 माइक्रोन का होता है, इसलिए इसमें स्टीच करने की भी जरूरत नहीं होती है। इसे मेडिकली DMEK प्रोसीजर कहा जाता है।