सैनेटरी नैपकीन पर महिलाएं खर्च नहीं करती हैं

नई दिल्ली: मासिक धर्म (पीरियड) स्वच्छता के प्रति आज भी लड़कियों में जागरुकता नहीं है। पहले तो वह इस विषय पर बात करने से ही कतराती हैं, हिम्मत करके वह अपनी परेशानी को किसी को बताती भी हैं तो उन्हें स्वच्छ रहने की जगह सलाह दी जाती है कि इन दिनों में नहाना नहीं चाहिए। जबकि मासिक धर्म में स्वच्छता का पालन न करने पर लड़कियों को कम उम्र में जननांग संबंधी संक्रमण हो रहे हैं। आईएमए ने स्वच्छ पानी की तर्ज पर सुरक्षित नैपकीन अभियान शुरू किया है।

अभियान के जरिए देश के सभी जिलों में लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छ रहने के महत्व को बताया जाएगा। आईएमए के महासचिव डॉ. आरएन टंडन ने बताया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में अब भी केवल 12 प्रतिशत महिलाएं ही बाजार में उपलब्ध सेनेटरी नैपकीन का इस्तेमाल करती हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में 43 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में मासिक धर्म के समय कपड़े का प्रयोग करती है। डॉ. टंडन ने बताया कि इस संदर्भ में किशोरियों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बारे में खुल कर बात करने की जरूरत है। मालूम हो कि विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर ऑनलाइन जनहित याचिका के जरिए सेनेटरी नैपकीन को करमुक्त करने की भी मांग की गई हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में किशोरिया पारंपरिक विधि छोड़ कर स्वच्छ तरीका अपना सकें।

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