स्ट्रोक पहचानने में आप नहीं करें गलती

नई दिल्ली: ब्रेन स्ट्रोक पहचानने में गलती नहीं करेंए नहीं तो जान जाने के साथ साथ अटैक का असर भी ज्यादा खतरनाक होने का खतरा रहता है। देश में मौत और विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण स्ट्रोक है। हर दो सैंकड में किसी न किसी को स्ट्रोक होता है, लेकिन दुर्भाग्य से कइयों को इसका सही इलाज नहीं मिलता पाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जब स्ट्रोक आता है तो लोग इसे पहचान नहीं पाते हैं कि यह अटैक ब्रेन में आए स्ट्रोक की वजह से हो रहा है।

दुनिया भर में हर साल करीब 17 मिलियन स्ट्रोक के मामले होते है और इनमें से अकेले भारत में छह मिलियन यानी 60 लाख मौतें हो जाती है। 2.60 करोड लोग स्ट्रोक के कारण विकलांगता का जीवन जी रहे हैं और अपना रोज का काम के लिए भी दूसरे के भरोसे रहते हैं। छह में से एक व्यक्ति को जीवन में एक बार स्ट्रोक जरूर आता है। स्ट्रोक के लक्षण अचानक सामने आते हैं और यदि इनकी सही पहचान हो जाए और समय पर उपचार मिल जाए तो मरीज को काफी लाभ हो सकता है।

आर्टेमिस हाॅस्पिटल के न्यूरोइंटरवेंषन विभाग के डायरेक्टर डाॅ. विपुल गुप्ता का कहना है कि “स्ट्रोक का इलाज संभव है और यही मैसेज हम विश्व स्ट्रोक दिवस पर पर पहुंचाना चाहते है। रोग की समय पर पहचान से बहुत बडा फर्क पड़ सकता है और इलाज के दौरान इसके बेहतर परिणाम दिख सकते है। हम लोगों को स्ट्रोक के लक्षण पहचानने के लिए जागरूक करने की जरूरत है।
स्ट्रोक के लक्षण अंग्रेजी में FAST के रूप में पहचाने जा सकते है। यहां एफ से मतलब है फेस ड्राॅपिंग यानि चेहरे की मांसपेशी लटकी हुई दिखना, ए का अर्थ है आर्म वीकनेस, हाथो में कमजोरी महसूस होना, एस का अर्थ है स्पीच स्लर्ड यानि आवाज में अस्पष्टता और टी का अर्थ है टाइम टू काॅल एन एम्बुलेंस यानी एम्बुलेंस बुलाने का समय हो गया है। कुछ लोगों को समझने में दिक्कत होती है। जैसे बोलने में परेशानी, समझने में परेशानी, भ्रमित रहना, अंधापन, तेज सिरदर्द आदि भी स्ट्रोक के लक्षण है। यदि मरीज का इलाज नहीं होता है तो मरीज हर मिनिट में 1.9 मिलियन न्यूरोन खो देता है। स्ट्रोक के इलाज का सबसे सही समय पहले छह घंटे होते है और इस दौरान इलाज मिलना ही सबसे बडी सफलता है।

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