नई दिल्ली,
विश्व किडनी दिवस के अवसर पर सफदरजंग अस्पताल आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर काम का अधिक बोछ है इसे कम करने के लिए हमें पैरेरल विश्वास सेवा भी शुरू करने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में नीति आयोग को एक प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा संचालन के लिए आशा कार्यकत्रियों के साथ ही पुरूषों को विश्वास इकाई के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए।
डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा कई तरह के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं लेकिन इसका जन जन तक लाभ पहुंचाने के लिए हमें संसाधनों पर ध्यान देना होगा, ग्रामीण इलाकों में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर कार्य का बोछ अधिक है, इसको कम करने के लिए डीजीएचएस होने के नाते हमने नीति आयोग में विश्वास के गठन का प्रस्ताव भेजा है। जिसमें आशा की तरह की पुरूष विश्वास स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर सकेगें। डॉ. सुनील ने कहा कि किडनी की बीमारियों से बचाव ही समाधान है। प्रत्यारोपण इसका समाधान नहीं है। किडनी रोगों की रोकथाम के लिए देश भर में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। मार्च के दूसरे हफ्ते में मनाया जाने वाले विश्व किडनी दिवस के अवसर पर सफदरजंग अस्पताल और नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के सहयोग से यूरोलॉजी, रोबोटिक्स और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किकया गया। डीजीएचएस स्वास्थ्य डा. सुनील कुमार ने घोषणा की कि जल्दी ही सफदरजंग अस्पताल के यूरोलाजी, रोबोटिक्स और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग को यूरोलाजी में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र घोषित करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इस दौरान चिकित्सा अधीक्षक डा. एसवी आर्य ने कहा कि भारत में अंगदान की कमी बड़ी समस्या है। इस अंतर को पाटने के लिए जनसंख्या में जागरूकता बढ़ाने और मृतक अंग दान दर में सुधार करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के आयोजक व विभागाध्यक्ष यूरोलाजी, रोबोटिक्स और रीनल ट्रांसप्लांट डा. अनूप कुमार ने कहा कि कोरोना के समय में अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण बंद हो गया था। अब इसे फिर से शुरू कर दिया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता नोटो के निदेशक डा. रजनीश सहाय ने की। कार्यक्रम में डा. अनूप कुमार, नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. हिमांशु वर्मा और वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज की प्रधानाचार्या डा. गीतिका खन्ना को प्रत्यारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए सम्मानित किया गया। इस दौरान अस्पताल के 250 से अधिक संकाय सदस्य, मेडिकल छात्र और डाक्टर मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान डीजीएचएस डा. सुनील कुमार ने अंगदान करने वाले अभिभावकों को स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान अंग दान करने वाले परिवारों को इलाज वरीयता देने के लिए सफदरजंग अस्पताल ने एक नई पहल शुरू करते हुए इनके लिए एक डोनर कार्ड भी प्रदान किया। इस कार्ड को दिखाने से अस्पताल में अंगदान करने वाले परिवार के लोगों को इलाज में वरीयता मिलेगी। डा. अनूप ने बताया कि यह सुविधा शुरू करने वाला सफदरजंग देश का पहला अस्पताल है।