हवा में है स्वाइन फ्लू के वायरस रहे सावधान

स्वाइन फ्लू के वायरस ने दिल्ली में दस्तक दे दी है। स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त महीने में एचवनएनवन के एक दो मरीजों की पुष्टि की है। स्वास्थ्य विभाग ने बचाव के लिए एहतियात बरतने को कहा गया है।
दिल्ली सरकार के स्वाइन फ्लू के नोडल अधिकारी डॉ एस एन रहेजा ने बताया कि बारिश के बाद बढ़ी आद्रता एचवनएनवन के संक्रमण के लिए सटीक मानी जाती है, लेकिन जुलाई महीने में इस बार अब तक एक भी मरीज की पुष्टि नहीं की गई। बावजूद इसके अस्पतालों को संक्रमण की जांच व इलाज पर अधिक ध्यान देने की बात कही गई है। मालूम हो कि इस वर्ष फरवरी महीने में स्वाइन फ्लू ने दिल्ली में दस्तक दी थी, जनवरी से फरवरी महीने के बीच स्वाइन फ्लू के दो हजार मरीजों की पुष्टि की गई। जिसमे बाद ही निजी जांच लैबारेटरी की जांच की कीमतों को भी निर्धारित किया गया।

कब कितने मरीज
वर्ष पुष्टि मौत
वर्ष 2009 7088 81
वर्ष 2010 1850 56
वर्ष 2011 22 2
वर्ष 2012 78 1
वर्ष 2013 57 3
वर्ष 2015 4270 13
नोट- वर्ष 2015 के आंकड़े जुलाई महीने तक के हैं।

क्या है स्वाइन फ्लू
एचवनएनवन वायरस मुख्य रूप से सुअरों से मानव शरीर में हवा के जरिए श्वांस के माध्यम से शरीर में पहुंचता है। उसके बाद एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में वायरस आसानी से फैल जाता है। संक्रमित व्यक्ति की छींक में एक लाख से अधिक ट्रॉपलेट होते हैं, जो तीन से छह फीट की दूरी तक खड़े व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। यही कारण है कि वायरस से संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक जगहों पर मुंह पर कपड़ा रखकर छींकने की सलाह दी जाती है। वर्ष 2009 में संक्रमण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पेंडेमिक बीमारी की श्रेणी में रखा था।

कितने तरह का संक्रमण
साधारण फ्लू- मौसम बदलने के साथ होने वाले इंफ्लूएंजा को साधारण फ्लू कहा जाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने वाले लोगों में इसके वायरस आसानी से प्रभाव डालते हैं। हल्का बुखार, बदन टुटना, गले में खराश और मांसपेशियों में दर्द के साथ इसे लक्षण सामने आते हैं। हालांकि यह फ्लू तीन से चार दिन में बिना दवा के ठीक हो जाता है।
गंभीर फ्लू- इसकी शुरूआत भी साधारण फ्लू के साथ होती है, लेकिन एक समय बाद संक्रमण फेफड़े और किडनी को प्रभावित करना शुरू कर देता है। इसे गंभीर अवस्था का फ्लू कहे हैं। इसमें मरीज को छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत और रक्तचाप कम होने लगता है। गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गो पर इसका सबसे अधिक असर देखने को मिलता है।

कैसे होती है वायरस की जांच
राष्ट्रीय संचारी रोग विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई एक विशेष जांच किट से ही स्वाइन फ्लू के वायरस की पुष्टि होती है। इसके लिए मरीज के गले के स्वाब व नाक के द्रव्य को लिया जाता है। इससे स्वाब में एचवनएनवन की पुष्टि के बाद ही मरीज को वायरस से बचाव की दवा दी जाती है।

कैसे होता है इलाज
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए हालांकि अब बाजार में वैक्सीन उपलब्ध है। संक्रमण का प्रभाव बढ़ने से पहले ही इसे लिया जा सकता है। हालांकि बीमारी में इलाज के लिए टैमी फ्लू दवा दी जाती है। लेकिन वायरस की पुष्टि के बाद दवा दिया जाना बेहतर बताया गया है, क्योंकि बिना पुष्टि के दवा देने पर संक्रमण हो जाने पर फिर वह दवा मरीज पर असरदार नही रह जाती है।

क्या बरतें सावधानी
-स्वच्छता का ध्यान रखें
-छींकने और खांसने के बाद हाथ धोएं
-संक्रमित मरीज का अलग इलाज हो
-इसके लिए आइसोलेटे वार्ड जरूरी है।
-मरीज के साथ ही परिजन और डॉक्टर भी सर्जिकल मास्क पहनें
-संक्रमण खत्म होने तक मरीज की इस्तेमाल की गई चीजें भी अलग रखें

क्या है सरकार की तैयार
-केन्द्र व दिल्ली सरकार के 17 अस्पताल में आइसोलेटेट वार्ड शुरू
-पांच निजी अस्पतालों को भी दिया गया है इलाज का जिम्मा
-राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान, पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट और एम्स के अलावा पांच निजी लैब तैयार
-निजी व सरकारी अस्पतालों के आइसोलेटेड वार्ड में 24 घंटे आपात सेवा

“वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। बचाव से बीमारी से बचा जा सकता है। सभी अस्पताल सहित लैबारेटी के सचेत कर दिया गया है। हालांकि यह जरूर है कि बीते वर्ष की अपेक्षा एचवनएनवन वायरस के स्टेन को इस बार अधिक प्रभावकारी माना जा रहा है।”
डॉ. एके वालिया, स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली सरकार

“सघन बस्ती और अधिक जनसंख्या होने के कारण दिल्ली में संक्रमण फैलना निश्चित है। इससे संक्रमित मरीज से वायरस आसानी से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते है। मरीज के इलाज के साथ ही डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ को भी सुरक्षित रहना चाहिए। हालांकि वर्ष 2009 की अपेक्षा अब संक्रमण से बचने के लिए हमारे पास कारगर उपाय हैं ”
डॉ. जुगल किशोर, कम्यूनिटी मेडिसन सेंटर, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज

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