16 साल के लडके ने बनाया दृष्टिहीनों को पढ़ने में मदद करने वाला उपकरण

नई दिल्ली, 30 अप्रैल :भाषा: एक स्कूली छात्र ने दृष्टिहीनों के लिए एक ऐसा उपकरण बनाया है जो उनको न केवल पढ़ने में मदद करेगा बल्कि सडक पर चलने के दौरान आसपास की आवाजों को एक ध्वनि में तब्दील कर किसी चीज की तस्वीर उनके दिमाग में बना देगा। गुडगांव के एक निजी स्कूल में 12 वीं कक्षा में पढ़ने वाले 16 वर्षीय गुरसिमरन सिंह ने ‘आईस्क्राइब’ नाम का चश्मे जैसा एक उपकरण बनाया है । दृष्टिहीन व्यक्ति कुछ सामग्री पढ़ना चाहेगा तो उसे यह चश्मा ऑडियो के रुप में उसे सुना देगा। इस उपकरण के लिए नीति आयोग ने उसे आर्थिक अनुदान भी दिया है और वह अगले महीने ‘प्रुडेनशियल स्पिरिट ऑफ कम्युनिटी अवॉर्ड ग्लोबल सेरेमॅनी’ के लिए अमेरिका जाएगा।

सिंह ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने चश्मे जैसा एक उपकरण बनाया है जिसका नाम ‘आईस्क्राइब’ है. यह दृष्टिहीन लोगों की पढ़ने में मदद करेगा। चाहे लिखे हुए शब्द किसी भी भाषा में क्यों न हों।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उपकरण में एक कैमरा और माइक्रो प्रोसेसर लगा हुआ है जो बटन दबाने पर शब्दों की फोटो लेता है और उसमें लगा प्रोसेसर शब्दों को ऑडियो में तब्दील कर देता है. यह ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन तकनीक के जरिए काम करता है, यानी जो भी आप पढ़ना चाहते हैं वह ऑडियो के रुप में आपको सुनाई देगा।’’ इस उपकरण के लिए सिंह को हाल ही में ‘सातवां वार्षिक प्रामेरिका स्पिरिट ऑफ कम्युनिटी अवॉर्ड’ मिला है जिसमें उसे 50,000 रुपये दिए गए हैं. सिंह ने कहा कि इसकी खासियत यह भी है कि यह आसपास की सभी आवाजों को एक ध्वनि में तब्दील कर देता है जिससे व्यक्ति अपने मस्तिष्क में किसी चीज की तस्वीर बना सकता है।

उन्होंने बताया, ‘‘इस चश्मे में एक माइक्रो प्रोसेसर लगा हुआ है जो वैज्ञानिक सिद्धांत ‘बाइनोरल बीट’ के अनुसार आसपास की विभिन्न आवाजों को एक ध्वनि में तब्दील कर देगा। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति अगर सडक पर चल रहा है और पीछे से कोई गाडी आ रही है तो यह बता देगा कि गाडी कितनी तेजी से आ रही है और कितनी दूर है. इससे व्यक्ति अपने दिमाग में एक तस्वीर बना सकता है.’’ सिंह ने कहा कि उन्होंने यह उपकरण पिछले साल बनाया था और नीति आयोग ने इसके लिए आर्थिक अनुदान दिया है।

सोर्स: भाषा

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