17 घंटे चली सर्जरी के बाद 22 साल के युवा की कलाई दोबारा जोड़ी गई

नई दिल्ली: नौकरीदाता एवं साथियों की तत्काल कार्यवाही ने 22 साल के मजदूर की दाहिनी कलाई को दोबारा अपनी जगह लगाया गया, जो ग्रेटर नोएडा में षीट कटिंग फैक्ट्री में मषीन पर काम करते वक्त गंभीर रूप से घायल हो कर कट गई थी। 17 घंटे चली लंबी सर्जरी के बाद इस कलाई को बीएलके सुपरस्पेषियल्टी हाॅस्पिटल की एक टीम के द्वारा दोबारा लगाया गया। यह सर्जरी डाॅ. लोकेष कुमार के नेतृत्व में 2 सर्जनों एवं 7 विषेशज्ञों की एक टीम के द्वारा की गई।

कमलेश के साथियों ने उन्हें हाॅस्पिटल पहुंचाने में बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं किया। उनकी कलाई रात में डेढ़ बजे एक मशीन में फंस जाने के कारण पूरी तरह से कट गई थी। कटे हुए हिस्से को नजदीकी क्लिनिक में फौरन एक बर्फ की थैली में रख लिया गया और इसके बाद मरीज को तत्काल सर्जरी के लिए बीएलके सुपरस्पेषियल्टी हाॅस्पिटल भेज दिया गया।

डाॅ. लोकेश कुमार, डायरेक्टर एवं एचओडी, बीएलके सेंटर फाॅर प्लास्टिक एण्ड काॅस्मेटिक सर्जरी, बीएलके सुपरस्पेशिल्टी हाॅस्पिटल ने बताया, ‘‘कमलेष के हाॅस्पिटल पहुंचते ही हमने तत्काल सर्जरी षुरु कर दी जो अगले दिन देररात तक चली। कटे हुए अंग को दोबारा लगाने के लिए विंडो पीरियड 6 घंटों का होता है। इस टीम ने सारी प्रारंभिक जांचें बिना समय गंवाए कर लीं, क्योंकि किसी भी विलंब से सर्जरी के सफल होने की संभावनाएं कम हो सकती थीं।स्टेबिलाईज़ेशन के बाद कमलेष को फौरन आॅपरेषन थिएटर ले जाया गया। कटे हुए हिस्से में सारी नसें नष्ट हो चुकी थीं, इसलिए उन्हें सही पहचानकर अलग-अलग करना सबसे बड़ी चुनौती थी। कटे हुए अंग
में सभी आर्टरी, नसें और टेंडन, के-वायर्स के द्वारा स्टंप से जोड़े गए, जिससे कटा हुआ हाथ अपने स्थान पर आया। इसके बाद हड्डियों को जोड़ने के लिए टाईटेनियम प्लेट लगाई गईं।

डाॅ. कुमार ने बताया कि टेंडन और नसों को रिपेयर करने के बाद माईक्रोस्कोपिक सर्जरी की गई। डाॅ. अनिल कुमार मुरारका, सीनियर कंसल्टेंट, प्लास्टिक एवं काॅस्मेटिक सर्जरी ने बताया, ‘‘रिप्लांटेशन सर्जरी में लगभग 17 घंटे लगे। रिप्लांटेषन काफी नाजुक सर्जरी होती है, जिसके लिए चिकित्सा विज्ञान के दो क्षेत्रों की एक साथ जरूरत पड़ती है। पूरी टीम के सुगम सामंजस्य के चलते कमलेष उस स्थिति से
सफलतापूर्वक बाहर आ सका, जो उसे पूरी जिंदगी के लिए अपाहिज बना सकती थी।’कमलेश अपने घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य है। वो स्थानीय फैक्ट्री में मैन्युअल काम करता है, जिसके लिए उसका शारीरिक रूप से समर्थ रहना बहुत जरूरी है। इस घटना के परिणामस्वरूप वो कमाई करने में असमर्थ हो सकता था। मेडिकल टीम के द्वारा अंग के संरक्षण एवं तत्काल प्रतिक्रिया के चलते एक परिवार की कमाई का स्रोत खोने से बच गया।

अब कमलेश स्वस्थ है और प्रतिदिन उसकी सेहत में सुधार हो रहा है। वो अपनी उंगलियां घुमा सकता है और कलाई भी थोड़ा थोड़ा उठने लगी है। उसकी हड्डियों और पेषियों को मजबूत बनने और काम करने में समर्थ बनने के लिए लगभग 6 हफ्तों का समय लगेगा। कमलेश बीएलके सुपर स्पेषियल्टी हाॅस्पिटल में 10 नवंबर को भर्ती कराया गया था और उसे अगले दिन हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। उसकी सेहत में तीव्र सुधार हुआ और वो पूरी जिंदगी के लिए अपाहिज होने से बच गया।

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