नई दिल्ली,
पूर्वी उत्तर प्रदेश निवासी 19 वर्षीय किशोरी सांस की तकलीफ, लगातार उल्टी, थकान और धड़कन की शिकायत के साथ दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल पहुंची। माता-पिता ने बताया कि वह बिना ज्यादा गतिविधि के अधिकांश समय कमरे में ही बीताती है, उसे पास के एक अस्पताल में दिखाया गया जहां उसकी नियमित रक्त जांच और छाती का एक्स-रे किया गया पर उसकी रिपोर्ट सामान्य आई। माता-पिता के अनुसार, मरीज ने भी स्कूल में ध्यान देने की अवधि कम कर दी थी और लगातार धड़कन बढ़ने की शिकायत की थी। मनोचिकित्सक की राय और नियमित परामर्श लिया गया क्योंकि उन्होंने बीमारी को उसकी कक्षाओं में भाग लेने में हिचकिचाहट के लिए जिम्मेदार ठहराया था। बहुत अधिक सुधार नहीं होने पर, माता-पिता ने सर गंगा राम अस्पताल में इलाज कराने का फैसला लिया।
सरगंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के चेयरमैन डॉ. अतुल कक्कड़ के अनुसार इकोकार्डियोग्राफी (दिल का अल्ट्रासाउंड) के आधार पर हमें पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन (पीएएच – Pulmonary Arteries Hypertension) फेफड़े के रक्त-चाप में दबाब) के लक्षण दिखाई दे रहे थे। पर्याप्त रक्त न मिलने से फेफड़ो के काम-काज पर असर पड़ रहा था। उसका पल्मोनरी प्रेशर (धमनी जो हृदय को फेफड़े से जोड़ती है) बहुत (65mmHg, सामान्य <25mmHg)अधिक था , उसके लक्षणों को दुर्लभ स्थिति – प्राथमिक पल्मोनरी हाइपरटेंशन डायग्नोस किया गया।
पीएएच को कम करने के लिए मरीज की दवाइयां शुरू की गई, दवाएं अब कुछ समय पहले से इस दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। दवाइयों से मरीज के लक्षणों में सुधार हुआ और उसका पल्मोनरी प्रेशर अब नियंत्रण में हैं।
डॉ. कक्कड़ ने इस स्थिति का इलाज किया और चूंकि इस स्थिति के लिए दवा महंगी और जीवन भर के लिए है, इसलिए उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री राहत कोष से धन की व्यवस्था की गई। उन्होंने आगे कहा कि पल्मोनरी प्रेशर उच्च रक्तचाप एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है और हर 10 लाख की आबादी में 1-2 मरीजों में होता है। सांस फूलने के बहुत सारे कारण होते उसमे से एक दुर्लभ स्थिति पीएएच है, ज्यादातर विशेषज्ञ इसे नजरअंदाज करते है क्योकि यह बीमारी बहुत रेयर (दुर्लभ) है। इसलिए, समय पर इलाज और उपचार जीवन को बढ़ाने में मदद करता है अन्यथा खतरनाक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
डॉ. अतुल गोगिया, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ़ मेडिसिन, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार कई दवाओं की उपलब्धता के साथ इस स्थिति के इलाज में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है। ये मरीज जीवन की बेहतर गुणवत्ता के साथ लंबे समय तक जी रहे हैं। इस समय मरीज की तबीयत में लगातार सुधार हो रहा है और वह नियमित रूप से इलाज के लिए हमारे संपर्क में है।