नई दिल्ली,
एम्स में कोरोना मरीज के इलाज में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। संस्थान ने कोरोना मृतक दो परिवारों के शव की बदला बदली कर दी। अहम यह है कि इसमें हिंदू कोरोना मृतक का शव मुस्लिम परिवार को दिया गया और मुस्लिम कोरोना मृतक का शव हिन्दू परिवार को सौंप दिया गया। मामले की भनक जब परिजनों को लगी तो अस्पताल प्रशासन की तरफ से अंतिम संस्कार से पहले मास्क हटाकर शव की पहचान की गई। लेकिन इससे पहले शव बदलने को लेकर काफी अफरा तफरी मची रही। परिजनों द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही की शिकायत पुलिस से भी की गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एम्स में छह जून की रात कोरोना पॉजिटिव दो महिलाओं की मौत हो गई। सबसे अहम यह है कि मुस्लिम परिवार ने शव की पहचान कर ली, जबकि हिन्दू परिवार शव का अंतिम संस्कार कर चुका था। एम्स सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बरेली निवासी अंजुमन को कोरोना पॉजिटिव होने के चलने एम्स ट्रामा सेंटर में चार जुलाई को भर्ती कराया गया था। छह जुलाई की रात 11 बजे अंजूमन की मौत हो गई। रात्रि दो बजे परिवार ने इसकी सूचना परिजनों को दी और परिजन शव लेकर अंतिम संस्कार करने कब्रिस्तान पहुंचे, लेकिन जब वहां बच्चों को मां का चेहरा अंतिम बार दिखाने के लिए मृतक का चेहरा देखा गया तो सबसे होश फाब्ता हो गए, मृतक अंजुम नहीं थी, इसके बाद पीसीआर कॉल की गई और शव को दोबारा एम्स ट्रामा सेंटर पहुंचाया गया। अब प्रशासन की तरफ से छानबीन शुरू हुई कि अंजुम का शव किसको दिया गया। पता चला कि मुस्लिम महिला अंजुम का शव एक हिन्दू परिवार को सौंप दिया गया है, जो उसका अंतिम संस्कार कर चुके थे। मृतक अंजुमन के भाई शरीफ खान ने बताया कि एम्स संस्थान में इतनी बड़ी लापरवाही हुई कि हम अपनी बहन का चेहरा आखिरी बार भी नहीं देख पाएं। जब परिजनों से एम्स प्रशासन से इस बारे में बात करनी चाही तो सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। मृतक महिला के पति का देहांत भी छह महीने पहले ही हुआ था, उसके तीन छोटे बच्चे हैं। इस बावत एम्स ट्रामा सेंटर के प्रोफेसर संजीव लालवानी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।