नई दिल्ली,
कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेहत पर वायरस के असर को जानने के संदर्भ एक अध्ययन के सकारात्मक परिणाम सामने आए है। जिसमें बताया गया है कि विटामिन डी का स्तर बेहतर होने से कोरोना संक्रमण की वजह से होने वाले खतरों को कम किया जा सकता है। एक तरह से इसे इस तरह भी समझाा जा सकता है कि शरीर में बेहतर विटामिन डी का स्तर, कोरोना से बचाव के लिए आपके लिए रक्षा कवच बन सकता है। शोध में पाया गया कि जिन लोगों के विटाामिन डी अच्छा है उन्हें कोरोना के जोखिम अन्य मरीजों के मुकाबले कम होते हैं।
अध्ययन के अनुसार किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी का स्तर 30 एनजीएल से अधिक है, जो उसे अधिक गंभीर कोरोना संक्रमण होने पर उसका शरीर पर नकारात्मक असर अधिक नहीं हुआ। यह भी देखा गया कि जिस मरीजों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी है उनके खून के सेल्स में अधिक मात्रा में लिंफोसाइट्स और कम मात्रा में विटामिन सी रिएक्टिव प्रोटीन पाया गया यह दोनों ही मरीज की रोग पॉजिटिव इम्यून रेस्पांस या अच्छी प्रतिरोधक क्षमता को इंगित करते हैं और यह संतुलन साइटोकाइन स्ट्रोम होने के खतरे को कम करता है, जो कि कोरोना में सबसे अधिक पाए जाने वाले रेस्पेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से बचाव करता है, जिसकी वजह सेअधिकतर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन डी का बेहतर स्तर कोरोना संक्रमण से बचाव में सहायक है इसके साथ ही यह कोरोना संक्रमण और इंफ्लएंजा आदि इसी समूह के अन्य वायरस से पॉजिटिव होने के बाद भी वायरस से होने वाले खतरो को कम करता है।
कब किसको कितनी विटामिन डी की जरूरत
माइक्रोबायोलॉजिस्ट और दिल्ली मेडिकल काउंसिल के साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉ. नरेन्द्र सैनी कहते हैं कि उम्र के अनुसार व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की जरूरत अलग अलग होती है। एक साल से कम उम्र में 400 यूएल, 19 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए 600 यूएल प्रतिदिन विटामिन डी की जरूरत होती है। सूरज की धूप के अतिरिक्त विटामिन डी के स्त्रोत काफी कम हैं, मछली का तेल, सीओडी लिवर ऑयल, मशहरूम आदि को विटामिन डी का बेहतर माध्यम माना जाता है। फोर्टिफायड खाद्य पद्धार्थो से विटामिन डी के स्तर को साठ साल की उम्र के बाद भी सही किया जा सकता है। विटामिन डी की कमी से कमर के नीचले हिस्से में दर्द, त्वचा का लचीला होना आदि शिकायतें देखने को मिलती हैं।