डॉक्टरों पर हिंसा के खिलाफ केन्द्रीय एक्ट की मांग

नई दिल्ली,

देश भर के चिकित्सक गुस्से में हैं। पश्चिम बंगाल में चिकित्सक पर हुए हमले के विरोध में ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई है। दिल्ली के एम्स, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग, आरएमएल की फोरडा ( फेडरेशन ऑफ डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने हड़ताल में साथ हैं। इससे पहले शुक्रवार को डॉक्टरों का एक दल केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मिला, केन्द्र सरकार ने हालांकि चिकित्सकों की मांगे पर विचार करने के लिए 48 घंटे का समय मांगा है, इस पर चिकित्सकों का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ, इस बीच डीएमए ने भी एक औपचारिक पत्र जारी कर सोमवार से मंगलवार तक सभी चिकित्सकों से आवश्ययक सेवाएं छोड़कर ओपीडी सेवाएं बंद करने की बात कही हैं। विरोध के क्रम में एम्स के चिकित्सकों ने हेलमेट पहन कर काम किया। शनिवार को भी प्रमुख सरकारी अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए भटकते रहे।
पश्चिम बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत के बाद हुए परिजनों द्वारा किए गए हमले में रेजिडेंट डॉक्टर के सिर पर बुरी तरह चोट आई। प्राप्त जानकारी के अनुसार चिकित्सक के परिजनों ने मौजूदा चिकित्सकों के अलावा पैरामेडिकल स्टॉफ पर भी हमला किया। पीड़ित चिकित्सक की एक्सरे रिपोर्ट में उसकी फ्रंटल लोब पर चोट साफ दिखाई दे रही है। पश्चिम बंगाल की इस घटना के बाद देशभर के चिकित्सकों ने ओपीडी बंद कर चिकित्सकों पर होने वाले हमले के खिलाफ केन्द्रीय एक्ट बनाने की बात की है। रेजिडेंट चिकित्सकों के इस विरोध का समर्थन वरिष्ठ चिकित्सकों ने भी किया है। डीएमए सहित आईएमए ने पत्र लिखकर हमलों के विरूद्ध सख्त कदम उठाने की मांग की है। इस बीच एम्स आरडीए ने पूरे मामले पर पश्चिम बंगाल की सरकार के रवैये की कड़ी निंदा की है। एम्स आरडीए के डॉ. अमरिंदर सिंह माहिल ने बताया कि केन्द्र के आश्वासन के बाद भी पश्चिम बंगाल की सरकार ने चिकित्सकों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया है, इसके लिए सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है। मालूम को चिकित्सकों का विरोध प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा।

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