नई दिल्ली : धागे से फ्रैक्चर संभव है, यकीन नहीं होता है ना, लेकिन यह सच है। सफदरजंग अस्प्ताल के डॉक्टन ने स्क्रू और इंडोबटन की जगह धागे की मदद से लीगामेंट फ्रैक्चर को रिपेयर करने में सफलता प्राप्त की है। 18 साल के अंकुर के लीगामेंट फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए ऑर्थोस्कोपिक सुचर ब्रिजिंग सर्जरी की गई है। आमतौर पर इस सर्जरी में सरकारी अस्पतालों में भी 50 से 70 हजार का खर्च होता है, जो अब केवल दस हजार में ही संभव हो जाएगा। प्राइवेट अस्पताल में डेढ़ लाख तक का खर्च होता है।
इस नए तकनीक का यूज करने वाले सफदरजंग अस्पताल के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर बलविंदर सिंह का कहना है कि भारत में इसे अपनाने की जरूरत है। अभी यह प्रोसीजर जर्मनी और अमेरिका में यूज हो रहा है। बलविंदर ने बताया कि जब किसी का एक्सिडेंट होता है तो पोस्टेरियर क्रूसिएट लीगामेंट (पीसीएल) में फ्रैक्चर आम बात है। इसमें घुटना टूट जाता है और यह पीछे खिसक जाता है। इस वजह से मरीज चल नहीं पाता है। अंकुर की भी यही स्थिति थी। वह पिछले तीन हफ्ते से बेड रेस्ट पर थे। आगे के इलाज के लिए उन्हें सफदजंग रेफर किया गया था। डॉक्टर बलविंदर सिंह की अगुवाई में डॉक्टर टी अहमद और डॉक्टर मोहित गर्ग ने इस नए प्रोसीजर को अंजाम दिया।
मोनिका: नई दिल्ली
डॉक्टर बलविंदर ने कहा कि अंकुर के इलाज के लिए पहली बार ऑर्थोस्पकोपिक सूचर ब्रिजिंग टेक्नीक यूज करने का फैसला किया। इसमें किसी इंप्लांट की जरूरत नहीं होती है। सिर्फ धागे की मदद से इसे रिपेयर किया जाता है। की-होल प्रोसीजर से इस तकनीक का यूज किया गया और केवल तीन से चार टांके लगाने पड़े। डॉक्टर ने कहा कि आमतौर पर जब लीगामेंट फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए स्क्रू या इंडोबटन का यूज किया जाता है। इसकी कीमत 50 से 70 हजार के बीच होती है। यह खर्च मरीज को उठाना पड़ता है।
डॉक्टर ने कहा कि प्राइवेट अस्पताल में इसका खर्च डेढ़ लाख तक पहुंच जाता है। हमारे देश में सैकड़ों मरीज एक्सिडेंट की वजह से लीगामेंट फ्रैक्चर के शिकार हो जाते हैं। इस तकनीक से इलाज काफी सस्ता हो गया है। केवल 10 हजार में सर्जरी हो जाएगी। धागे के यूज की वजह से यह जल्दी ठीक हो जाता है। बाद में स्क्रू निकालने की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक को भारत में और यूज करने की जरूरत है।