साइलेंट किलर अनार देता है सबसे ज्यादा जख्म

नई दिल्ली: रंग-बिरंगी रोशनी वाला पटाखा अनार जब जलता है तो देखने में भले ही अच्छा लगता हो, लेकिन दिवाली पर सबसे ज्यादा जख्म यही देता है। डॉक्टरों के मुताबिक, हर साल दिवाली में आने वाले बर्न के मामले में 80 पर्सेंट लोग अनार से ही जले होते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अनार में आवाज नहीं होती है, इस वजह से लोग इसे हल्के में लेते हैं और जरा-सी लापरवाही में बर्न का शिकार हो जाते हैं। अनार के अलावा 10 पर्सेंट लोग डिब्बा बम से जलते हैं। अन्य 10 पर्सेंट लोग लड़ी पटाखा या अन्य पटाखे से जलते हैं।

15 से 30 सेकंड का समय लगता है जलने में
सफदरजंग के बर्न, प्लास्टिक एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ. आर. पी. नारायण के अनुसार अनार को लोग हल्के में लेते हैं, लेकिन पटाखों में यह सबसे अधिक खतरनाक है। अनार को जलने में 15 से 30 सेकेंड का समय लगता है और यही इसे खतरनाक भी बनाता है। लोग उसे बुझा हुआ समझकर उसे फिर से जलाने के लिए उस पर झुक जाते हैं और अधिकांश मामले में यह अचानक जल उठता है, जिससे सामने वाले का चेहरा जल जाता है। अक्सर लोग अनार को हाथ में लेकर जलाते हैं, कई बार इसका पीछे का पार्ट जल जाता है जिससे हाथ में बर्न हो जाता है। दरअसल इस ‘साइलेंट किलर’ के आवाज नहीं करने की वजह से बच्चे, युवा और बुजुर्ग भी इसे जलाने के प्रति उतने सजग नहीं होते, जितने बाकी पटाखों को जलाने के वक्त होते हैं।

‘डिब्बा बम’ का इस्तेमाल भी खतरनाक
डॉक्टरों का कहना है कि शरारती लोगों के द्वारा बम को डिब्बे में रखकर विस्फोट करने की वजह से करीब 10 पर्सेंट लोग घायल होते हैं। डिब्बा बम का शिकार राह चलते लोग भी हो जाते हैं। इससे लोगों के चेहरे, हाथ आदि पर गहरा जख्म हो जाता है। दिवाली की रात केवल 10 पर्सेंट ही लोग लड़ी वाले पटाखे तथा अन्य पटाखों से जलते हैं। डॉक्टर का मनना है कि बम से लोग कम जलते हैं, क्योंकि इसकी जोरदार आवाज से लोगों में डर रहता है और लोग सजग रहते हैं।

पटाखे से समस्याएं
– धुएं और पल्यूशन से अस्थमा और फेफड़े में प्रॉब्लम
– साउंड पल्यूशन बढ़ जाता है, जिससे लोगों के सुनने की शक्ति पर असर होता है
– मुंह के अंदर शीशा जाने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचने की आशंका
– आंखों में जलन और त्वचा में संक्रमण हो सकता है
– चिंगारी छिटकने से आंख की कॉर्निया पर बुरा असर
बरतें ये सावधानियां
– जहां तक मुमकिन हो, पटाखे जलाने से बचें
– बच्चे अगर न मानें तो पटाखे जलाते वक्त उनके साथ रहें
– दुर्घटना से बचने के लिए साथ में पानी की बाल्टी रखें
– टिन या कांच की बोतल में रखकर पटाखा न जलाएं
– दमा और अस्थमा के मरीज घर से बाहर न जाएं
– ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए कान में रूई डाल लें

जलने पर क्या करें
– स्किन के जले हुए हिस्से पर बरनॉल, नीली स्याही या फिर दवा न लगाएं
– झुलसे हुए हिस्से को बहते पानी में तब तक रखें, जब तक जलन पूरी तरह से खत्म न हो जाए
– आंखों में जलन होने पर ठंडे पानी के छींटे मारें और जल्दी डॉक्टर को दिखाएं।

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