By Mahima Tiwari
ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम व खांसी होना आम बात है लेकिन यह समस्या एक सप्ताह से ज्यादा समय तक बनी रहें तो नजरअंदाज करना ठीक नहीं। यह अस्थमा व सांस सम्बन्धी कोई दिक्कत हो सकती है। वहीं अगर पहले से सांस सम्बन्धी कोई बीमारी है तो यह लापरवाही सांसों पर भारी पड़ सकती है।
केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के डा. अजय कुमार वर्मा का कहना है कि सर्दी बढऩे के साथ ओपीडी में सांस रोगियों की संख्या बढ़ गयी है। अधिकतर मरीज सर्दी-जुकाम, खांसी व सांस लेने में दिक्कत की समस्या लेकर आ रहे हैं। इनमेंं से कई मरीजों को भर्ती करने की भी जरूरत पड़ रही है। डा वर्मा का कहना है कि सर्दी रफ्तार पकडऩे लगी है। इस मौसम में सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है। खासकर सांस के रोगियों को। ठंडी हवाएं उनकी तकलीफ और बढ़ा सकती है। इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि सर्दी-जुकाम व खांसी की समस्या एक सप्ताह से ज्यादा समय तक है तो लापरवाही कतई न बरतें। फौरन चिकित्सक की सलाह लें। ध्यान न देने पर स्थिति गम्भीर हो सकती हैै। उनका कहना है कि ठंड से श्वास नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं। कई बार इन नलिकाओं में इतना ज्यादा संकुचन हो जाता है कि ब्लाक हो जाती है। जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है और इससे मरीज को अस्थमा अटैक आ सकता है। उनका कहना है कि मौसमी फ्लू, जो सर्दियों में आम है, अस्थमा के मरीजों के लिए गंभीर है। सर्दी और फ्लू के वायरस के संपर्क में आने वाले दमा के रोगी में उस संक्रमण के निमोनिया में बदलने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में वह मरीज जिन्हें अस्थमा व सांस की अन्य समस्याएं है साथ ही उम्र भी अधिक है, विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। वहीं जिन लोगों को एलर्जी के कारण कभी-कभी सांस सम्बन्धी दिक्कत होती है। ठंड से उनमें भी यह समस्या ट्रिगर हो सकती है। अस्थमा के लक्षण हर मरीज में अलग हो सकते हैं, हालांकि ठंड के मौसम में देखे जाने वाले कुछ सामान्य लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकडऩ या दर्द और खांसी या घरघराहट शामिल हैं। कुछ अस्थमा रोगियों को खांसी, नाक बंद, नाक बहना, गले में खराश और बलगम की भी प्रॉब्लम होती है। अस्थमा रोगियों को सर्दी के मौसम में इन्हेलर लेने में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इन्हेलर से सीधे फेफड़ों तक दवा पहुंचती है। इससे सांस लेने में मदद मिलती है। इन्हेलर दवा की छोटी और मापी हुई खुराक सीधे वायुमार्ग में पहुंचाते हैं, इससे किसी तरह के साइड इफेक्ट की कम आशंका होती है। इसके साथ ही सबसे जरूरी है कि ठंडी हवाओं के सीधे सम्पर्क में आने से बचें। जब ठंड अधिक हो तो घर के अंदर ही रहें। खानपान में गर्म पेय पदार्थ जैसे सूप व दूध शामिल करें। गुनगुना पानी पियें और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें।
Dr. Ajay Kumar Verma. Pulmonologist KGMC, Lucknow Utter pradesh