नई दिल्ली,
दिल के मरीजों के लिए स्टेटिन दवा बेगानी नहीं है। देश भर के 90 फीसदी दिल के मरीजों की जिंदगी इसी दवा के सहारे कट रही है, लेकिन हाल ही में यूएसएफडीए ने इसके लगातार प्रयोग से याद्दाशत कमजोर होने, डायबिटीज का खतरा बढ़ने और मांसपेशियों संबंधी परेशानी की बात कही है। दरअसल साधारण 20 से 40 एमजी की स्टेटिन सुरक्षित है, जबकि यदि 80 एमजी की स्टेटिन दी जा रही है तो सावधान हो जाइए।
यूनाइटेड नेशन फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने दिल के मरीजों पर स्टेटिन दवा के अपने अध्ययन को प्रकाशित किया। जिसमें पाया गया कि पांच साल से लगातार स्टेटिन दवा खाने वाले मरीजों की याद्दाश्त कम देखी गई, जो डिमेन्शिया का खतरा बढ़ा सकती है। यही नहीं दवा मांसपेशियों को कमजोर करती है। लगातार दवा खाने वाले 100 में से 60 मरीजों में मसल्स पेन की शिकायत बताई गई। जेनेटिक कारणों की वजह से भारतीयों में दिल का खतरा अधिक रहता है, इस लिहाज से इस अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके स्टेटिन देने से पहले भारतीय डॉक्टरों को इसके खतरे से सचेत रहना चाहिए, यूएस एफडीए के बाद देश में भी स्टेटिन के असर पर अध्ययन किया जाएगा। फोर्टिस अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि स्टेटिन से डायबिटीज का खतरा हो सकता है, लेकिन यह भी सही है कि डायबिटीज के 60 प्रतिशत मरीजों को दिल के दौरे से बचाने के लिए स्टेटिन दी जाती है, दरअसल बाजार में उपलब्ध दस प्रमुख तरह की स्टेटिन में रोनेबा स्टेटिन के अधिक मात्रा का खतरा सबसे अधिक देखा गया है।
क्या बरती जानी चाहिए सावधानी
-दवा शुरू करने से पहले लिवर एंजाइम्स की जांच की जानी चाहिए
-यदि जरुरत नहीं है तो 20 से 40 एमजी तक ही रखे दवा की डोज
-लगातार पांच साल से ले रहे हैं दवा हैं तो अन्य सामान्य जांच जरुर कराएं
-लोवास्टेटिन कर सकती हैं मांसपेशियों को कमजोर इसके अधिक इस्तेमाल से बचें
क्या करती है स्टेटिन
खून में हाईडेंसिटी लिपिड प्रोफाइल की मात्रा बढ़ने से धमनियों में रुकावट हो सकती है। दिल के दौरे के किसी भी स्थिति से बचने के लिए मरीज को पहले खून को पतला करने वाली दवाएं दी जाती है, इसलिए स्टेटिन को दिल के रोगियों के लिए सबसे जरुरी बताया गया है। जिसका वह बिना सर्जरी कर लंबे समय तक इस्तेमाल करते रहते हैं। यह कोलेस्ट्राल बढ़ाने वाले फॉस्फोलिपिड को नियंत्रित करती है।