नई दिल्ली
19 के युवा को राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने एक नया दिल दे दिया। युवक दिल के दाएं वेंट्रिकूलर कॉडियोमायोपैथी से ग्रसित था और बीमारी की वजह से वह अपनी नियमित दिनचर्या की गतिविधियां भी नहीं कर पा रहा था। कॉर्डियोमायोपैथी में दिल के प्रत्यारोपण के अलावा कोई और विकल्प नहीं रहता, मरीज के दिल की धमनियां धीरे धीरे सिकुड़ने लगता है। आरएमएल अस्पताल के चिकित्सकों ने हार्ट प्रत्यारोपण की इस सर्जरी को आठ जनवरी की शाम शुरू किया और नौ जनवरी की सुबह दिल को युवा के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया गया।
हार्ट सर्जन की टीम डॉ विजय गोवर, डॉ नरेन्द्र सिंह झांझरिया और डॉ पलाश अय्यर के नेतृत्व में इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया गया। जबकि कार्डियक एनीस्थिया की टीम में डॉ जसविंदन कौर कोहली और अस्पताल के अन्य वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रंजीत नाथ और डॉ पुनीत अग्रवाल का विशेष सहयोग रहा। अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण का यह दूसरा मामला है, अस्पताल में पहला हृदय प्रत्यारोपण दो साल पहले किया गया था, सर्जरी के बाद मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है। बुधवार को हुए हृदय प्रत्यारोपण में 19 साल के युवक को 26 साल के व्यक्ति का दिल लगाया गया, मार्ग दुर्घटना का शिकार होने के बाद युवक को इंट्राक्रेनियल रक्त स्त्राव हो गया था, जिसकी वजह से युवक को सरगंगा राम अस्पताल में मस्तिष्क मृत घोषित किया गया। मरीज को इलाज के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया था। आठ जनवरी की सुबह युवक को अस्पताल ने मस्तिष्क मृत घोषित कर दिया गया, युवक के परिजनों से अंग प्रत्यारोपण के लिए संपर्क किया गया, नेशनल आर्गेन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (नोटो) की सहमति के बाद राम मनोहर लोहिया अस्पताल की जरूरत के हिसाब से युवक का दिल चिकित्सकों तक पहुंचा दिया गया। युवक की दो किडनी और लिवर को सर गंगाराम अस्पताल को दिया गया। जिसे जरूरतमंद मरीज में प्रत्यारोपित कर दिया गया। नोटो की सहमित के बाद सर गंगाराम अस्पताल से राम मनोहर लोहिया अस्पताल तक दिल को पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिसमें दिल्ली पुलिस और यातायात विभाग की सहायता ली गई। आठ जनवरी की शाम और नौ जनवरी की सुबह तक चली लंबी सर्जरी के बाद 19 साल के युवक को नया जीवन दिया गया। मरीज को सर्जरी के बाद सीटीवीएस विभाग के आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। 26 के युवक मरने के बाद भी कई लोगों के जीवन को रोशन कर गया।