नई दिल्ली
जन्मजात दिल का विकार नवजात शिशुओं में होने वाली सामान्य स्थिति है, हर सौ में से एक बच्चा ऐसे विकार के साथ ही पैदा होता है। इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल सात फरवरी से 14 फरवरी के बीच सीएचडी या कंजेनाइटल हार्ट डिफेक्ट (सीएचडी) जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है।
जन्म के समय ह्दय विकार या दिल संबंधी बीमारियों को लेकर पैदा होने वाले नवजात शिशुओं की दिल की विकृति को यदि सही समय पर पहचान ली जाएं तो काफी हद तक इसका इलाज संभव है। सीएचडी जागरूकता सप्ताह के दौरान मेडिकल क्षेत्र से जुड़े युवा डॉक्टर और विशेषज्ञों की इस बात की जानकारी दी जाएगी कि ऐसे बच्चों के इलाज और देखभाल क्यों जरूरी है। सीएचडी नवजात शिशुओं में जन्म के समय से होने वाले हृदय का विकार या दिल संबंधी गड़बड़ी को कहा जाता है, हृदय धमनियों या वाल्व में गड़बड़ी जैसी दिक्कतें बच्चों के लिए लंबे समय तक परेशानी का कारण बन सकती हैं, दिल की ऐसी जन्मजात तकलीफ में अकसर बच्चे का रंग जन्म के समय नीला होना, घबराहट होना या फिर सांस लेने में दिक्कत होने के रूप में देखे जाते हैं। कई बार इन तकलीफ की वजह पारिवारिक हिस्ट्री या फिर पहले से किसी बच्चे का सीएचडी से पीड़ित होना बताया गया है। हालांकि सीएचडी के सटीक कारणों का अभी तक विशेषज्ञ पता नहीं लगा पाए हैं। कई बार जनेटिक डिस्आर्डर को भी इसकी वजह बताया जाता है, उदाहरण के लिए डाउन सिंड्रोम के शिकार बच्चों में अकसर सीएचडी की समस्या देखी जाती है।
गर्भवती महिला का स्वास्थ्य
गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर गर्भवती के स्वास्थ्य का भी असर पड़ता है, गर्भ के समय महिला के डायबिटिक होने, स्टेरॉयड दवाएं लेने या फिर गर्भपात के पूर्व के केस की वजह से भी नवजात शिशु को दिल की बीमारी हो सकती है। गर्भवती महिला यदि लंबे समय प्रदूषण के संपर्क में रहती है इस स्थिति में भी पेट में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। गर्भ में रहते हुए यदि नवजात के संभावित दिल की बीमारियों को पहचान लिया जाएं तो इसका सही समय पर इलाज किया जा सकता है। कुछ बच्चों में जन्म के समय होने वाली दिल की बीमारियों का इलाज जीवन पर भर चलता है, जिसमें समय समय पर होने वाली सर्जरी, दवाएं, इंजेक्शन आदि कुछ थेरेपी शामिल होती हैं। इसलिए सीएचडी के बारे में माता पिता के साथ ही विशेषज्ञों को भी जागरूक करने की जरूरत है। जागरूकता बढ़ाने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि इन व्यक्तियों को वह सहायता और संसाधन मिलें जिनकी उन्हें सफल होने के लिए ज़रूरत है। यह हमारे समुदायों के भीतर बेहतर समझ को बढ़ावा देता है, कलंक को कम करता है और समावेश को बढ़ावा देता है।
आरएमएल में सीएचडी जागरूकता सप्ताह
11 फरवरी, जन्मजात हृदय की बीमारी पर स्वास्थ्य वार्ता, अस्पताल के पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ धीरज भट्ट स्थान- पीडियाट्रिक ओपीडी में, सीएचडी के लक्षण, रेफरल समय और सीएचडी रोगियों का उपचार पर देखभाल पर चर्चा सीएचडी में इकोकार्डियोग्राफी और फीटल इको डॉ साक्षी सचदेवा द्वारा
12 फरवरी को दोपहर, पी.जी.आई. कमरा नं. 304, प्रो. डॉ. विजय ग्रोवर द्वारा उद्घाटन भाषण सीटीवीएस विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर डॉ. दिनेश कुमार विभागाध्यक्ष बाल रोग, सीएचडी क्विज- पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए बाल रोग विभाग, क्विज मास्टर, डॉ. साक्षी मैम और डॉ. धीरज भट्ट,
13 फरवरी, सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक: 104 पीजीआई बिल्डिंग, नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जाएगा।