सेहत संवाददाता, लखनऊ,
बलरामपुर अस्पताल में वार्ड आया ने एक 12 वर्षीय डेंगू पीड़ित बच्चे को को गलत इंजेक्शन लगा दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई। नर्स की मौजूदगी में आया ने इंजेक्शन क्यों लगाया इसका जवाब अस्पताल प्रशासन के पास नहीं है। बहरहाल आउटसोर्सिंग पर तैनात आया को दोषी मानते हुए उसे बर्खास्त कर दिया गया है और तीन नर्सों को निलंबित कर जांच कमेटी गठित कर दी गई।
मड़ियांव के प्रीति नगर निवासी इश्तियाक के बेटे जैद (12) को कुछ दिन से बुखार आ रहा था। मंगलवार को हालत में सुधार न होने पर परिवारीजनों ने उसे बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में दिखाया, जहां से डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती कर लिया। इश्तियाक का आरोप है कि गुरुवार सुबह करीब 11 बजे वार्ड में मौजूद आया ने जैद को बुखार का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगने के पांच मिनट में ही जैद की हालत नाजुक हो गई। उसकी आंखे उलटने लगीं। हाथ पैर ठंडे और ढीले पड़ गए। परिजनों ने यह जानकारी वार्ड में नर्सिंग स्टेशन पर मौजूद नर्स को दी। उसने आकर देखा। हालत बिगड़ने पर उसे तुरंत ही आईसीयू भेज दिया। आईसीयू में डॉक्टरों ने मरीज की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसे वेंटिलेंटर पर रख दिया। करीब तीन घंटे बाद ही बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
बच्चे की मौत के बाद परिवारजनों ने वार्ड से लेकर आईसीयू तक में हंगामा किया। परिजनों ने आरोप लगाया कि वार्ड आया ने गलत इंजेक्शन लगा दिया। इसी वजह से बच्चे की हालत बिगड़ी और मौत हो गई। काफी देर तक परिजन हंगामा करते रहे। इसी बीच अस्पताल के अफसरों को जानकारी हुई तो उन्होंने वार्ड से लेकर आईसीयू तक दौड़ शुरू की। हंगामे की सूचना पर किसी अनहोनी को देखते हुए वजीरगंज कोतवाली की पुलिस भी पहुंच गई। अफसरों व पुलिस ने परिवारीजनों को कार्रवाई का भरोसा देकर शांत कराया।
इस बारे में अस्पताल निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण का कहना है कि आउटसोर्स वार्ड आया को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। नर्सिंग ऑफिसर समेत तीन लोगों को निलंबित किया है। पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है।